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सीबीआइ ने बोला है कि सोहराबुद्दीन, उसकी पत्नी कौसर बी व उसके सहयोगी तुलसीराम प्रजापति की 2005 व 2006 में की गई मर्डर पूर्व नियोजित थी। वहीं न्यायालय का कहना है कि अगर एजेंसी की जांच में कुछ कमियां हैं तो ये आरोपितों को बरी करने या उन्हें फायदा पहुंचाने का आधार नहीं हो सकता है। उल्लेखनीय है कि इस मामले में 200 गवाहों की गवाही ली गई थी जिसमें से 92 गवाह अपने बयानों से मुकर गए हैं।
इसके बाद सीबीआइ की ओर से विशेष न्यायालय के जज एसजे शर्मा के समक्ष अंतिम दलीलें पेश कर रहे विशेष लोक अभियोजक बीपी राजू ने बोला है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अभियोजन के कई अहम गवाह अपने बयानों से पलट गए हैं। उन्होंने कहा, सुप्रीम न्यायालय ने कई अवसरों पर बोला है कि अदालतों को उन गवाहों की गवाहियों पर भी ध्यान देनाचाहिए जो अपने बयानों से मुकर गए हैं। इस संदर्भ में उन्होंने गुजरात पुलिस के दो कांस्टेबलों नाथूबा जडेजा व गुरदयाल सिंह की गवाहियों का विशेष उल्लेख किया है। उन्होंने बोलाकि दोनों की गवाहियां बेहद अहम् हैं।