सैटेलाइट तस्वीरों से इस बात के मिले हैं संकेत…

उत्तर कोरिया ने जिन रॉकेट लॉन्च साइटों को नष्ट करने का दुनिया से वादा किया था, वो उन्हें दोबारा बना रहा है. विश्लेषकों का कहना है कि सैटेलाइट तस्वीरों से इस बात के संकेत मिले हैं.

ये सैटेलाइट तस्वीरें अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप और उत्तर कोरियाई शासक किम जोंग-उन की मुलाक़ात के दो दिन बाद ली गई थीं.

हाल में किम जोंग-उन और अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के बीच वियतनाम की राजधानी हनोई में बैठक हुई थी. परमाणु निरस्त्रीकरण के मुद्दे को लेकर हुई ये बातचीत बेनतीजा रही थी और इसमें कोरियाई प्रायद्वीप में परमाणु निरस्त्रीकरण के मसले पर कोई सहमति नहीं बन पाई थी.

उत्तर कोरिया के डोंगचांग-री में सोहाए परीक्षण स्थल को सैटेलाइट लॉन्च और इंजन टेस्टिंग के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है लेकिन अब तक यहां से किसी बैलिस्टिकि मिसाइल का परीक्षण नहीं किया गया है.

इस परीक्षण स्थल को नष्ट करने के लिए ट्रंप और किम के बीच बातचीत बीते साल शुरू हुई थी लेकिन अमरीका ने बीच में ही बात बंद कर दी और ये वार्ता अधूरी रह गई.

डोंगचांग-नी परीक्षण स्थल को नष्ट करने के किम के वादे को अमरीका और उत्तर कोरिया के बीच आपसी भरोसे की शुरुआत की तरह देखा जाता रहा है.

इसी बीच अमरीका ने उत्तर कोरिया को चेताया है कि अगर उसने परमाणु निरस्त्रीकरण को लेकर माकूल कदम नहीं उठाए तो उसे और ज़्यादा पाबंदियों का सामना करना पड़ सकता है.

अमरीका के कई थिंक टैंक संस्थाओं और दक्षिण कोरियाई ख़ुफ़िया सेवाओं के सबूतों के हवाले से उत्तर कोरिया की कुछ सैटेलाइट तस्वीरें सामने आई हैं. इन तस्वीरों को देख कर लगता है जैसे सोहाए में डोंगचांग-री परीक्षण स्थल पर रॉकेट लॉन्च पैड्स को दोबारा बनाने के लिए तेज़ी से काम हो रहा है.

‘बेहद महत्वपूर्ण बदलाव’

साल 2012 से सोहाए उत्तर कोरिया का अहम सैटेलाइट लॉन्चिंग स्टेशन रहा है. इसे ऐसी मिसाइलों के लिए बने इंजनों की टेस्टिंग के लिए भी इस्तेमाल किया गया है जिनकी क्षमता अमरीका तक पहुंचने की है.

हालांकि यहां से किसी बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण नहीं किया गया है क्योंकि बैलिस्टिक मिसाइलों का परीक्षण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत ही उकसाने वाला कदम माना जाता है.

38 नॉर्थ पर्यवेक्षक समूह के मैनेजिंग एडिटर जेनी टाउन ने बीबीसी को बताया कि ये “बदलाव बेहद महत्वपूर्ण” है.

उन्होंने कहा, “उत्तर कोरिया के लोग इन रॉकेट लॉन्च पैड के दोबारा बनाने को उनके सक्रिय मिसाइल कार्यक्रम की तरह नहीं बल्कि नागरिक अंतरिक्ष कार्यक्रम की तरह देखेंगे. अतीत में उन्होंने ऐसे विचार ज़ाहिर किए हैं.”

जेनी टाउन कहते हैं, “इन परीक्षण स्थलों को दोबारा बनाया जाना इस बात का संकेत है उत्तर कोरिया और अमरीका के बीच जो बातचीत चल रही थी, उसमें भरोसे की कमी है.”

बेनतीजा रही थी दोनों नेताओं की बातचीत

और ज़्यादा प्रतिबंधों की चेतावनी

डोनल्ड ट्रंप और किम जोंग-उन के बीच बीते हफ़्ते वियतनाम की राजधानी हनोई में हुई शिखरवार्ता बिना किसी समझौते या नतीजे के ख़त्म हो गई. दोनों नेता इस मुद्दे पर किसी सहमति पर पहुंचने में विफल रहे कि पाबंदियों में कुछ हद तक मिली छूट के बाद उत्तर कोरिया ने परमाणु निरस्त्रीकरण की दिशा में कहां तक प्रगति की है.

अमरीका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने मंगलवार को एक टेलीविज़न इंटरव्यू में कहा कि हालात के मद्देनज़र अमरीका उत्तर कोरिया पर और प्रतिबंध लगा सकता है.

उन्होंने कहा, “अमरीका इस पर नज़र रखना ज़ारी रखेगा कि उत्तर कोरिया अपने परमाणु हथियार कार्यक्रम को सीमित करने और इससे जुड़े सभी विषयों पर कैसा रवैया अपना रहा है.”

बोल्टन ने कहा, “अगर वो अपना परमाणु कार्यक्रम पर लगाम नहीं लगाते तो मुझे लगता है कि राष्ट्रपति ट्रंप की राय इस बारे में बहुत स्पष्ट है. उत्तर कोरिया को ऐसे प्रतिबन्धों से राहत नहीं मिलनी वाली है, इनसे उनकी अर्थव्यवस्था चरमरा जाएगी. इतना ही नहीं, हम उन पर और नए प्रतिबंध लगाने के बारे में भी विचार करेंगे.”

‘प्रतिबंधों से नुक़सान ही होगा’

हालांकि पर्यवेक्षकों की चेतावनी है कि अगर अमरीका उत्तर कोरिया पर और प्रतिबंध लगाता है तो दोनों देशों के बीच शांति की सारी कोशिशें नाकाम हो जाएंगी.

जेनी टाउन के मुताबिक उत्तर कोरिया अमरीका द्वारा लगाई गई पाबंदियों का पहले भी धड़ल्ले से उल्लंघन करता आया है.

उन्होंने कहा, “अमरीका का कोरिया पर नए प्रतिबंध थोपने से सिर्फ़ बातचीत की राजनीतिक इच्छा में कमी आएगी.”