सेंसेक्स में 1422 अंक की बढ़त से निवेशकों को 5.33 लाख करोड़ रूपए का लाभ हुआ

घरेलू पूंजी मार्केट से विदेशी निवेश के वापस लौटने का सिलसिला थम नहीं पा रहा है. मई महीने में विदेशी निवेशकों ने घरेलू पूंजी मार्केट से 6399 करोड़ रुपये वापस खींच लिए. 1255 करोड़ रुपये 2  3 मई के दौरान ही निकाल लिए गए थे. इस दौरान इक्विटी से 367 करोड़  डेट बाजार से 888 करोड़ निकाले गए थे. एक्सपर्टस का बोलना है कि चुनावी अनिश्चितता  अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर की वजह से निवेशकों ने यह कदम उठाया है. इस कदम घरेलू पूंजी मार्केट सकते में है.

फरवरी, मार्च  अप्रैल में विदेशी निवेश जमकर हुआ था
सूत्रों का बोलना है कि इससे पहले घरेलू पूंजी मार्केट में फरवरी, मार्च  अप्रैल में जमकर विदेशी निवेश हुआ था. फरवरी में 11,182 करोड़, मार्च में 45,981 करोड़  अप्रैल में 16,093 करोड़ रुपये का निवेश इक्विटी  डेट बाजार में किया गया था. वैश्विक स्तर पर सेंट्रल बैंकों की उदारवादी नीतियों के चलते हिंदुस्तान में विदेशी पूंजी निवेश पर्याप्त रूप से हो रहा था.घरेलू पूंजी मार्केट इसकी वजह से सशक्त बना हुआ था.

हालांकि, घरेलू पूंजी मार्केट से विदेशी निवेशकों के मोहभंग की आरंभ अप्रैल महीने से हो गई थी. अप्रैल में जो पूंजी निवेश हुआ वह मार्च की तुलना में बहुत ज्यादा कम था. सूत्रों का बोलना है कि विदेशी निवेशकों ने बैंकिंग, फाइनेंशियल सर्विसेज, इंश्योरेंस सेक्टर के साथ तेल  गैस से जुड़े कारोबार में बहुत ज्यादा रुचि दिखाई थी.

विदेशी निवेशकों की नयी सरकार पर नजरेंटिकीं
सूत्रों बोलना है कि मई में विदेशी निवेशकों के रवैये से निश्चित तौर पर घरेलू पूंजी मार्केट को झटका लगा है. निवेशकों का रुख देश में बनने वाली सरकार पर लगा है. चुनावी नतीजे घोषित होने के बाद ही वे नयी सरकार के हिसाब से अपनी अगली रणनीति तय करेंगे. स्थितियां उनके अनुकूल हुई तो फिर से विदेशी निवेश घरेलू मार्केट में आना प्रारम्भ हो जाएगा.

एक्सपर्ट्स का बोलना है कि अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर ने भी विदेशी निवेशकों को भ्रम की स्थित में डाला हुआ है. दोनों महाशक्तियों के बीच वार्ता तो चल रही है, लेकिन कोई नतीजा न निकलने से विदेशी निवेशक भ्रम में हैं. उनका बोलना है कि ट्रेड वॉर जल्दी समाप्त नहीं हुई तो घरेलू मार्केट में आने वाला विदेशी निवेश  ज्यादा प्रभावित होगा.