सुप्रीम कोर्ट ने रफ़ाल रक्षा सौदे से जुड़ी सभी याचिकाएं कर दी ख़ारिज

सुप्रीम कोर्ट ने रफ़ाल रक्षा सौदे से जुड़ी सभी याचिकाएं ख़ारिज कर दी हैं. केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के लिए ये बड़ी राहत है, क्योंकि विपक्षी दल रफ़ाल सौदे में भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर उस पर लगातार हमला कर रहे थे.

सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाएं ख़ारिज करते हुए कहा है कि इस मामले की जाँच नहीं होगी. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच ने एकमत से ये फ़ैसला दिया.

सुप्रीम कोर्ट में मौजूद सुचित्र मोहंती ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रफ़ाल विमान ख़रीद प्रक्रिया को लेकर किसी तरह का संदेह करने का कोई आधार नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शुरुआत में उन्होंने सैन्य मामलों की न्यायिक समीक्षा का प्रयास किया था, लेकिन हमारी राय है कि राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए न्यायिक समीक्षा के कोई निर्धारित मानक नहीं हो सकते.

सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि सौदे को लेकर विमानों के दाम, खरीद प्रक्रिया और ऑफ़सेट पार्टनर को लेकर चिंताएं तो थीं, लेकिन ख़रीद प्रक्रिया को लेकर किसी तरह का संदेह नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सौदे में किसी को वित्तीय लाभ मिलने जैसी बात भी सामने नहीं आई.

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा कि वे सरकार को 126 एयरक्राफ्ट ख़रीदने के लिए बाध्य नहीं कर सकते और अदालत के लिए ये उचित नहीं होगा कि वो इस केस के हर पहलू की समीक्षा करे. साथ ही विमानों की कीमतों की तुलना करने का काम भी कोर्ट का नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट में मौजूद सुचित्र मोहंती ने बताया कि रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने 17 मिनट में ये फ़ैसला सुना दिया. उन्होंने बताया कि आम तौर पर मुख्य न्यायाधीश फ़ैसला सुनाने के लिए माइक का इस्तेमाल नहीं करते, लेकिन उन्होंने रफ़ाल सौदे का निर्णय माइक पर सुनाया.

याचिकाकर्ताओं में से एक वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऑफ़सेट पार्टनर का निर्णय फ्रांसीसी एविएशन कंपनी दसो ने किया है और सरकार का इससे कोई लेना-देना नहीं है.”

फै़सले पर कौन-क्या बोला?

क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट के इस फ़ैसले के बाद मैं सिर्फ़ ये कहना चाहता हूँ कि रफ़ाल के ख़िलाफ़ अभियान अब बंद होना चाहिए.”

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ” कांग्रेस पार्टी सुप्रीम कोर्ट नहीं गई है. सुप्रीम कोर्ट ये कैसे पता करेगी कि रिलायंस की कंपनी को ऑफ़सेट ठेका कैसे मिला. सुप्रीम कोर्ट की अपनी सीमाएं हैं. हम मोदी को चुनौती देते हैं कि इस मामले की जाँच संयुक्त संसदीय समिति यानी जेपीसी से कराई जाए.”

कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा, “मैं नहीं मानता कि ये हमारे लिए सेटबैक है. ये मुद्दा जनता की अदालत में है और हम सदन में ये मामला उठाएंगे.”

इस मामले में ऑफ़सेट कंपनी रिलायंस डिफ़ेंस के चेयरमैन अनिल अंबानी ने कहा कि वे इस फ़ैसले का स्वागत करते हैं. अनिल अंबानी ने कहा कि उनके ख़िलाफ़ आरोप निराधार और राजनीति से प्रेरित थे.

कब हुआ था समझौता?

साल 2010 में यूपीए सरकार ने रफ़ाल विमानों की ख़रीद प्रक्रिया फ़्रांस से शुरू की.

2012 से 2015 तक दोनों के बीच बातचीत चलती रही. 2014 में यूपीए की जगह मोदी सरकार सत्ता में आई.

सितंबर 2016 में भारत ने फ़्रांस के साथ 36 रफ़ाल विमानों के लिए करीब 59 हज़ार करोड़ रुपये के सौदे पर हस्ताक्षर किए.