सुप्रीम कोर्ट के फैसले का लाखों नियोजक शिक्षकों को था बेसब्री से इंतजार, जानिये कोर्ट का आदेश

साढ़े तीन लाख नियोजित शिक्षकों को सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार की अपील मंजूर करते हुए पटना हाई कोर्ट के फैसले को निरस्त कर दिया है।

हाईकोर्ट ने समान काम के लिए समान वेतन की मांग को लेकर आंदोलनरत शिक्षकों के हक में फैसला सुनाया था, जिसके खिलाफ प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को लेकर 11 याचिकाओं पर सुनवाई की गई थी, जिसके बाद कोर्ट ने 3 अक्टूबर 2018 को फैसला सुरक्षित रख लिया था। तब से ही सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का लाखों नियोजक शिक्षकों को बेसब्री से इंतजार था। बिहार के 3 लाख 56 हजार टीचर्स की उम्मीदें सुप्रीम कोर्ट से लगी हुई थीं। बता दें कि बिहार में समान कार्य के लिए समान वेतन की मांग को लेकर नियोजित शिक्षक काफी समय से आंदोलन कर रहे हैं। पहले इस मामले में पटना हाई कोर्ट ने शिक्षकों के हक में फैसला सुनाया था और बिहार सरकार को समान वेतन देने का निर्देश दिया था। हालांकि बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रखने से पहले याचिका पर सुनवाई की थी।

शिक्षक संघ की तरफ से अधिवक्ता ने कहा था कि पटना हाई कोर्ट ने समान काम-समान वेतन के पक्ष में सही फैसला दिया है। सरकार फैसले को लागू नहीं कर बेवजह नियोजित शिक्षकों को परेशान कर रही है। शिक्षक संघ की ओर से कोर्ट में तर्क दिया जा रहा है कि समान काम के लिए समान वेतन, नियोजित शिक्षकों का मौलिक अधिकार है।वहीं केंद्र सरकार नियोजित शिक्षकों को समान वेतन देने के लिए राशि बढ़ाने पर सहमत नहीं दिखी थी। सुप्रीम कोर्ट में अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने कहा था कि शिक्षकों की नियुक्ति और वेतन देना राज्य सरकार का काम है। इसमें केंद्र की कोई भूमिका नहीं है। केंद्र ने तर्क दिया था कि नियमित शिक्षकों की बहाली बीपीएससी के माध्यम से हुई है। वहीं नियोजित शिक्षकों की बहाली पंचायती राज संस्था से ठेके पर हुई है, इसलिए इन्हें समान वेतन नहीं दिया जा सकता है।