सामने आई बड़ी ख़बर प्रियंका गांधी नज़र आई सांप के साथ खेलती, जानिए ये है वजह

कांग्रेस पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी का एक वीडियो जमकर वायरल हो रहा है. इसमें वे उप्र के रायबरेली में सांप के साथ खेलती नजर आ रही हैं. जीवरक्षा के लिए कार्य करने वाली संस्था PETA ने प्रियंका के इस वीडियो पर असहमति जताई है  चुनाव आयोग में भी इस मुद्दे में शिकायत का मन बना रही है.

मीडिया रिपोर्ट्स में PETA प्रतिधिनियों के हवाले से लिखा गया है कि आचार संहिता के मुताबिक चुनाव प्रचार में जानवरों का प्रयोग नहीं किया जा सकता. जानिए आखिर क्या है वाइल्डलाइफ एक्ट  ये किस तरह से यह वन्यप्राणियों को सुरक्षा प्रदान करता है.

क्या है वाइल्ड जीवन प्रोटेक्शनएक्ट?
वाइल्ड जीवन प्रोटेक्शन एक्ट, 1972 को 21 अगस्त 1972 को लागू किया गया था.एक्ट जम्मू और कश्मीर को छोड़कर सारे देश में लागू होता है. तब से लेकर अभी तक इसमें कई संशोधन हो चुका हैं. इसमें पहला संशोधन 9 सितंबर 1972 को हुआथा.इसके बाद 2002, 2006  2013 में संशोधन करकेसजा को सख्त बनाया गया  निगरानी भीबढ़ाई गई. वन्य प्राणियों से जुड़े गंभीर मामलों से निपटने का जिम्मा स्पेशल अपराध कंट्रोल ब्यूरो को दिया गया.

एक्ट में क्या प्रावधान है?

  • यह एक्ट वन्य प्राणियों को संरक्षण देता है. यह किसी भी वन्यप्राणी को पकड़ने, मारने, जहर देने या बंदी बनाने पर प्रतिबंध लगाता है.
  • इसके तहत किसी भी वन्यप्राणी को चोट पहुंचाने, समाप्त करने, हटाने या उसके किसी अंग को नुकसान पहुंचाने पर भी पूरी तरह से प्रतिबंध है.
  • वन्य पक्षियों  कीड़े-मकोड़ों के अंड़ों को भी नुकसान पहुंचाने पर इस एक्ट के तहत कार्रवाई हो सकती है, क्योंकि यह पक्षियों के अंड़ों को भी संरक्षण प्रदान करता है.
  • किसी भी जानवर के मरने के बाद उसके अंगों को संग्रहित करना भी निषेध है. कई लोग जानवरों की खाल, दांत, सींग, नाखुन आदि संग्रहित कर लेते हैं. ऐसा करना भीगैरकानूनी है.

कौन कर सकता है कार्रवाई?
इस एक्ट के किसी भी बिंदु का उल्लंघन होता है तो पुलिस, सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन, फॉरेस्ट डिपार्टमेंट  कस्टम विभाग को कार्रवाई करने का अधिकार है. इस तरह के मामलों में चार्जशीट वन विभाग द्वारा तैयार की जाती है. दूसरी एजेंसियां भी ऐसे केस में वन विभाग को ही मुद्दा सौंपती हैं.

कितनी सजाहोती है ?
नए संशोधनों के मुताबिक, किसी वन्यप्राणी का शिकार करने पर 7 वर्ष तक की सजा का हो सकती है. क्राइम के प्रकार के हिसाब से जुर्माना राशि तय की जाती है. पहले इसमें 3 वर्ष की सजा  25 हजार रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान था.