सवर्णों को 10% आरक्षण, मोदी सरकार का चुनाव से पहले बड़ा फैसला

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने चुनावों से ठीक पहले सवर्णों के वोट बैंक को साधने के लिए बड़ा फैसला लिया है. लोकसभा चुनावों से पहले बड़ा कदम उठाते हुए केंद्रीय कैबिनेट ने सोमवार को ”आर्थिक रूप से कमजोर” तबकों के लिए सरकारी नौकरियों और शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण के फैसले को मंजूरी दे दी.

बीजेपी के समर्थन का आधार मानी जाने वाली अगड़ी जातियों की लंबे समय से मांग थी कि उनके गरीब तबकों को भी आरक्षण दिया जाए. एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने बताया कि संसद के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन मंगलवार को एक संवैधानिक संशोधन विधेयक पेश किया जाएगा.

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मायावतीलोकसभा चुनाव से पहले लिया गया ये फैसला हमें सही नीयत से लिया गया फैसला नहीं लगता है, चुनावी स्टंट लगता है, राजनीतिक छलावा लगता है. अच्छा होता अगर बीजेपी (सरकार) अपना कार्यकाल खत्म होने से ठीक पहले नहीं बल्कि (इसे) और पहले ले आती.
इस विधेयक में प्रावधान किया जा सकता है कि जिनकी सालाना आय 8 लाख रुपये से कम और जिनके पास पांच एकड़ से कम कृषि भूमि है, वे आरक्षण का लाभ ले सकते हैं.

सूत्रों ने बताया कि ऐसे लोगों के पास नगर निकाय क्षेत्र में 1000 वर्ग फुट या इससे ज्यादा का फ्लैट नहीं होना चाहिए और गैर-अधिसूचित क्षेत्रों में 200 यार्ड से ज्यादा का फ्लैट नहीं होना चाहिए.

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आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को दस फीसदी रिजर्वेशन

एक सूत्र ने बताया, ”आरक्षण आर्थिक रूप से कमजोर ऐसे लोगों को दिया जाएगा जो अभी आरक्षण का कोई लाभ नहीं ले रहे.”

प्रस्तावित कानून का लाभ ब्राह्मण, राजपूत (ठाकुर), जाट, मराठा, भूमिहार, कई व्यापारिक जातियों, कापू और कम्मा सहित कई अन्य अगड़ी जातियों को मिलेगा. सूत्रों ने बताया कि अन्य धर्मों के गरीबों को भी आरक्षण का लाभ मिलेगा.

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संविधान में करना होगा संशोधन

प्रस्तावित आरक्षण अनुसूचित जातियों (एससी), अनुसूचित जनजातियों (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्गों (ओबीसी) को मिल रहे आरक्षण की 50 फीसदी सीमा के अतिरिक्त होगा, यानी ”आर्थिक रूप से कमजोर” तबकों के लिए आरक्षण लागू हो जाने पर यह आंकड़ा बढ़कर 60 फीसदी हो जाएगा.

इस प्रस्ताव पर अमल के लिए संविधान संशोधन विधेयक संसद से पारित कराने की जरूरत पड़ेगी, क्योंकि संविधान में आर्थिक आधार पर आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है. इसके लिए संविधान के अनुच्छेद 15 और अनुच्छेद 16 में जरूरी संशोधन करने होंगे.

एक केंद्रीय मंत्री ने कहा कि विधेयक एक बार पारित हो जाने पर संविधान में संशोधन हो जाएगा और फिर सामान्य वर्गों के गरीबों को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण मिल सकेगा. उन्होंने कहा,

”विधेयक मौलिक अधिकारों के प्रावधानों के तहत अगड़ी जातियों के लिए आश्रय प्रदान करेगा. आरक्षण पर अधिकतम 50 फीसदी की सीमा तय करने का न्यायालय का फैसला संविधान में संशोधन का संसद का अधिकार नहीं छीन सकता.”