सर्टिफाइड नर्स मारिजा इस वजह अपना शरीर बेचने पर हुई मजबूर, असलियत जान छूट जायेगा पसीना

वेनेजुएला में हर नागरिक एक नर्क की जिंदगी जीने को मजबूर है लेकिन दुश्वारियों की रेखाएं सबसे ज्यादा महिलाओं के चेहरे पर दिखती हैं। यहां की महिलाओं की आवाज में दर्द है और आंखों में कभी ना खत्म होने वाली उदासी।

पहले तो वे अपनी व्यथा मन के भीतर ही कैद रखने की कोशिश करती हैं लेकिन बार-बार पूछने पर वे छलकते आंसुओं के साथ बताती हैं कि वे कैसे अपना शरीर बेचने को मजबूर हो गई हैं।

दो साल पहले सर्टिफाइड नर्स मारिजा वेनेजुएला की सीमा पार कर कोलंबिया पहुंची थीं। वह अपने पीछे अपनी मां और तीन बच्चों को छोड़कर आई थी। दूसरे प्रोफेशनल्स की तरह मारिजा ने भी अपने ही फील्ड में नौकरी ढूंढने की कोशिश की लेकिन उम्मीद के सारे दरवाजे उसे बंद मिले। यहां तक कि सफाईकर्मी की नौकरी भी मिलना भी असंभव था। सब तरफ से निराश होकर मारिजा ने एक बहुत ही मुश्किल फैसला किया।

वेश्यावृत्ति में पड़ने के बारे में मारिजा कहती है, आज कोई है, कल कोई है, ये काम आसान नहीं है और बहुत खतरनाक है। लेकिन एक मां होने के नाते आप ज्यादा सोच नहीं सकते हैं, आपको जो करना है, वो करना है।

जब वह अपनी पढ़ाई और नर्स के तौर पर नौकरी के दिनों को याद करती हैं तो एक अजीब सी निराशा उनकी आवाज में घुल जाती है। वह बताती हैं, यह बहुत ही परेशान करने वाला होता है क्योंकि आप लंबे समय तक काम कर चुके होते हैं। मैंने 5 सालों तक पढ़ाई की और अब लगता है कि मैंने वो साल बर्बाद कर दिए क्योंकि मैं आगे प्रैक्टिस नहीं कर सकती हूं। इतना कहते कहते वह रोने लगती हैं।

अपने घर वेनेजुएला में कभी मारिजा की आंखों में सपने हुआ करते थे लेकिन देश के आर्थिक संकट और महंगाई ने ऐसा भंवर रचा कि वह उसमें फंसकर रह गईं।

सर्टिफाइड नर्स के तौर पर 15 दिनों तक काम करने के बाद वह केवल एक पैकेट आटा ही खरीद सकती थी। मामूली सी चीजें भी उसकी पहुंच से बाहर हो गई थीं। यहां तक कि वेनेजुएला में इस बात की भी गारंटी नहीं रह गई थीं कि उन्हें जो चाहिए, वह मिल ही जाएगा। कई बार उन्हें अपने बच्चे के लिए डायपर्स तक नहीं मिलते थे।

वेनेजुएला के हालात के बारे में मारिजा बताती हैं, लोग किराने की दुकानों के सामने रात बिताते हैं ताकि अगली सुबह उनका नंबर लग जाए। हाथ में टिकट लिए हुए ग्राहक खरीदारी के लिए लाइन में लगकर इंतजार करते हैं और दुकान में उस दिन जो होता है, वही खरीदकर लौट जाते हैं।

मारिजा भी उनमें से एक है। उसका पूरा परिवार हमेशा से चावेज का समर्थक रहा है। वह पूर्व नेता और मदुरो दोनों को देश की हालत के लिए दोषी मानती हैं।

वह कहती हैं, अतीत में भुखमरी नहीं थी, किसी चीज की कमी नहीं थी, कोई देश छोड़कर नहीं भागता था। जब सब कुछ अच्छा था तो लोग छुट्टी के लिए विदेश जाते थे, जरूरतें पूरी करने के लिए नहीं।

परिवार की जरूरतों ने मारिजा को वेनेजुएला और कोलंबिया की सीमा पर स्थित कुकुटा शहर में लाकर खड़ा कर दिया जहां पर वह खाने, डायपर्स और छोटी-छोटी जरूरतों को पूरा करने के लिए हर रोज संघर्ष करना पड़ता है। यह शहर बेरोजगारी के लिए बदनाम है।