सरकार को वापस लेना होगा कृषि कानून , सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया ये बड़ा आदेश

सुप्रीम कोर्ट में किसान आंदोलन से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई शुरू हो गई है। सरकार की ओर से अदालत में कहा गया कि दोनों पक्षों में हाल ही में मुलाकात हुई, जिसमें तय हुआ है कि चर्चा चलती रहेगी।

 

टिकरी बॉर्डर से किसान नेता ने कहा कि कल हम सिरसा कालावाणी में ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे, 13 जनवरी को पूरे देश में 3 काले कानूनों के प्रतियां जलाएंगे, 15 जनवरी को सिरसा टोल प्लाजा से एक काफिला दिल्ली के लिए रवाना होगा और 26 जनवरी के लिए हम पूरे देश में रिहर्सल कर रहे हैं।

टिकरी बॉर्डर से किसान नेता ने कहा कि हम शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं, हरियाणा में सरकार नाम की चीज़ नहीं बची है। हमारी मांग केंद्र सरकार से है इसमें हरियाणा की सरकार बीच में दखल दे रही है जिसकी हम निंदा करते हैं जबकि सरकार को किसानों का साथ देना चाहिए।

सिंघु बॉर्डर पर कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का विरोध प्रदर्शन आज 48वें दिन भी जारी है। किसान मज़दूर संघर्ष समिति के प्रेस सचिव ने बताया, “अब सरकार ने दूसरी रणनीति शुरू कर दी है। वे फर्जी किसान संगठन लेकर आ रहे हैं। हमको चुनौती देने के लिए छोटे मोटे संगठन खड़े कर रहे हैं।”

हालांकि, चीफ जस्टिस ने इसपर नाराजगी व्यक्त की। चीफ जस्टिस ने कहा कि जिस तरह से सरकार इस मामले को हैंडल कर रही है, हम उससे खुश नहीं हैं।

कृषि कानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अगर केंद्र सरकार कृषि कानूनों को लागू करने पर रोक नहीं लगाना चाहती तो हम इन पर रोक लगाएंगे।