समय पर सेना को हथियार न मिलने पर हुआ ये बड़ा नुकसान, जानिए ऐसे

हथियारों की डिलेवरी में हो रही देरी के प्रति चिंता जाहिर की है ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड (OFB) से मिलने वाले 21,500 करोड़ रुपए हथियार  गोला-बारूद बीते दस वर्षों से लगातार हो रही देरी के चलते सेना को वक़्त से नहीं मिल रहा है ने रक्षा मंत्रालय को इस बारे में 15 पेज की एक रिपोर्ट भी सौंपी है

क्या है मामला
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ़ इंडिया में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक इंडियन आर्मी  ओएफबी दोनों ही कई बार हथियारों की डिलेवरी में हो रही देरी के लिए रक्षा मंत्रालय से शिकायत कर चुके हैं हथियार खरीदारी की पहली योजना जो कि वर्ष 2009-14 के बीच पूरी होनी थी के दौरान भी 14000 करोड़ के हथियारों की डिलेवरी में देरी हुई

इसके बाद दूसरी योजना जो कि वर्ष 2014-19 के लिए थी, उसमें भी 7,500 करोड़ रुपए के हथियारों की डिलेवरी का अभी कोई अता-पता नहीं है बता दें कि ओएफबी भारतीय सेनाओं द्वारा प्रयोग होने वाले गोला-बारूद की उपलब्धता का प्रमुख स्रोत है थल सेना  वायु सेना में उसके बनाए गोला-बारूद प्रयोग होते हैं इस सरकारी कंपनी का सालाना टर्नओवर 19,000 करोड़ रुपये है, लेकिन सामान अच्छी गुणवत्ता का नहीं है

हथियारों की क्वालिटी पर भी सवाल
ओएफबी  सेना ने डिलेवरी में देरी के अतिरिक्त हथियारों की क्वालिटी पर भी सवाल खड़े किए हैं सेना ने रक्षा मंत्रालय से बोला है कि घटिया गोला-बारूद के प्रयोग से सैनिकों के घायल होने  मारे जाने  महंगे हथियारों के बेकार होने के मुद्दे बढ़ रहे हैं टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक सेना के रेड अलर्ड ने उसके  मंत्रालय के रक्षा उत्पादन से जुड़े विभागों में हलचल मचा दी है  गोला-बारूद की गुणवत्ता के विषय में वे संयुक्त कोशिश में जुट गए हैं

मंत्रालय को भेजी रिपोर्ट में सेना ने बताया है कि बेकार गोला-बारूद के चलते सेना की फील्ड गनें आए दिन दुर्घटनाग्रस्त होती हैं इनमें अर्जुन, टी-72  टी-90 टैंकों में प्रयोग होने वाली बंदूकें भी शामिल हैं इसके अतिरिक्त 155एमएम वाली कुछ बोफोर्स बंदूकें भी घटिया गोला-बारूद की वजह से एक्सीडेंट का शिकार हुई हैं एक सूत्र ने बताया कि इस समस्या का अच्छा प्रकार से हल नहीं होने के चलते सेना ने लंबी दूरी के कुछ हथियारों का प्रयोग तक बंद कर दिया है

सरकार भी है गंभीर

सेना की तरफ से हथियारों की डिलेवरी में देरी  क्वालिटी के मामले पर रक्षा मंत्रालय को 15 पेज की एक रिपोर्ट सौंपी गई थी इस रिपोर्ट को सेक्रेटरी डिफेंस प्रोडक्शन अजय कुमार ने बहुत ज्यादा गंभीरता से लिया है  ओएफबी के जरिए सप्लाई किए जा रहे गोला-बारूद का मूल्यांकन किया जा रहा है सूत्रों के मुताबिक प्राइवेट सेक्टर की मदद लेने के बारे में भी विचार चल रहा है

बता दें कि उरी हमले के बाद सरकार को ये जानकार बड़ा झटका लगा था कि इस तरह के हमलों से निपटने के लिए सेना के पास पर्याप्त हथियार उपस्थित नहीं हैं इसी के बाद 11,740 करोड़ रुपए के 19 सौदे किए गए थे इनमें रूस से स्मार्क रॉकेट, कोंक्रूज़ एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल  T90  T72 टैंक के लिए हथियार शामिल हैं