पीएम रानिल विक्रमसिंघे को करीब दो महीने पहले बर्खास्त करने के अपने निर्णय को ‘‘नेकनीयती’’ से लिया गया निर्णय करार दिया व बोला कि संसद की परम्परा व लोकतंत्र को बचाए रखने के लिए उन्हें पद पर बहाल किया गया है। सिरिसेना ने यूनाईटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) के नेता विक्रमसिंघे को 26 अक्टूबर को पद से हटाकर महिंदा राजपक्षे (73) को पीएम पद पर नियुक्त कर दिया था।
उनके इस कदम के बाद इस द्वीपीय राष्ट्र में संवैधानिक संकट पैदा हो गया था। बहरहाल, राजपक्षे ने उच्चतम कोर्ट के दो जरूरी फैसलों के बाद शनिवार को पद से त्याग पत्र दे दिया जिसके बाद 69 वर्षीय विक्रमसिंघे फिर से पीएम बने। सिरिसेना ने विक्रमसिंघे व उनकी पार्टी के नेताओं को पद की शपथ दिलाने के बाद कहा, ‘‘मैंने बहुत ज्यादा वरिष्ठ वकीलों व पूर्व न्यायाधीशों से विचार-विमर्श करने के बाद हर कार्य किया।
मैंने सही मंशा से कार्य किया व इसके लिए मुझे इतिहास में याद किया जाएगा। ’’ विक्रमसिंघे को फिर से पद पर कभी भी बहाल नहीं करने का संकल्प लेने वाले सिरिसेना ने बोला कि संसदीय परम्पराओं व लोकतंत्र को बचाए रखने के लिए उन्होंने, उन्हें फिर से पद पर बहाल किया। यूएनपी के एक वरिष्ठ नेता ऐरान विक्रमरत्ने ने बताया कि सिरिसेना द्वारा नए कैबिनेट को सोमवार को शपथ दिलाए जाने की आसार है। उन्होंने साथ ही बताया, ‘‘30 सदस्यीय कैबिनेट को अगले 48 घंटे के भीतर नियुक्त किया जाएगा। ’’