शेख मुठभेड़ मामले में 22 आरोपी बरी राहुल गांधी ने व्यंग्य करते हुए कही ये बात

CBI की विशेष न्यायालय द्वारा सोहराबुद्दीन शेख मुठभेड़ मामले में 22 आरोपियों को बरी किए जाने के अच्छा एक दिन बाद कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने शनिवार को व्यंग्य करते हुए बोला कि ‘उसे किसी ने नहीं मारा, वह खुद मर गया.

राहुल ने सोहराबुद्दीन के साथ ही हरेन पांड्या, कौसर बी  जस्टिस लोया की मौत का भी जिक्र किया  बोला कि “वे अपने आप मर गए.

कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष ने ट्विटर पर कहा, “किसी की मर्डर नहीं हुईहरेन पांड्या, तुलसीराम प्रजापति, जस्टिस लोया, प्रकाश थोम्ब्रे, श्रीकांत खांडालकर, कौसर बी, सोहराबुद्दीन शेख ये अपने आप मर गए.

बताते चलें कि CBI की एक विशेष न्यायालय ने गैंगेस्टर सोहराबुद्दीन शेख, उसकी पत्नी कौसर बी  उसके सहयोगी तुलसी प्रजापति की कथित फर्जी मुठभेड़ में मर्डर के मामले में 22 आरोपियों को साक्ष्यों के आभाव में शुक्रवार को रिहा कर दिया था.

कौन थे मारे गए लोग

बता दें कि गुजरात के गृहमंत्री रह चुके हरेन पंड्या की 26 मार्च 2003 को गोली मारकर मर्डर कर दी गई थी. तब गुजरात में नरेंद्र मोदी CM थे. इस घटना में आरोपी रहे सोहराबुद्दीन शेख को बाद में 2005 में पुलिस ने मुठभेड़ में मार दिया. जज बीएच लोया सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर केस की सुनवाई कर रहे थे. लोया की 2015 में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी.

जबकि इसी केस से जुड़े एडवोकेट श्रीकांत की भी 29 नवंबर 2015 को संदिग्ध दशा में मृत पाए गए थे. कांग्रेस पार्टी नेता कपिल सिब्बल ने आरोप लगाया था कि एडवोकेट श्रीकांत को न्यायालय की बिल्डिंग से फेंक कर मारा गया था.

वहीं सोहराबुद्दीन  तुलसीराम प्रजापति दोनों मूल रूप से उज्जैन के रहनेवाले थे. दोनों ही अपराधिक गतिविधियों में शामिल रहे. तुलसीराम प्रजापति को 18 वर्ष की आयु में 1997 में पहली बार अरैस्ट किया गया था.  28 वर्ष की आयु में गुजरात में पुलिस ने मुठभेड़ में उसे मारा.

जज बोले- मैं दुखी हूं

इस बहुचर्चित मामले में इसी महीने रिटायर हो रहे जज एसजे शर्मा ने अपने निर्णय में कहा, “2005 के मुठभेड़ मामलों में साजिश  मर्डर का जुर्म साबित करने के लिए पेश सबूत गवाह संतोषजनक नहीं हैं. न्यायालय के सामने पेश किए गए सबूत किसी भी आरोपी की किरदार की पुष्टि नहीं करते.” जज ने मामले में किसी को सजा नहीं देने की न्यायालय की अक्षमता पर अफसोस जाहिर किया.

सोहराबुद्दीन मामले में क्या-क्या हुआ?

साल 2005 के इस मामले में 22 लोग मुकदमे का सामना कर रहे थे जिनमें ज्यादातर पुलिसकर्मी हैं. इस मामले पर विशेष निगाह रही है क्योंकि आरोपियों में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का नाम भी शामिल था. हालांकि, उन्हें 2014 में आरोप मुक्त कर दिया गया था. शाह इन घटनाओं के समय गुजरात के गृह मंत्री थे.

मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष के करीब 92 गवाह मुकर गए. इस महीने की शुरूआत में आखिरी दलीलें पूरी किए जाने के बाद CBI मामलों के विशेष न्यायाधीश एस जे शर्मा ने बोला था कि वह 21 दिसंबर को निर्णय सुनाएंगे. ज्यादातर आरोपी गुजरात  राजस्थान के कनिष्ठ स्तर के पुलिस ऑफिसर हैं.

न्यायालय ने CBI के आरोपपत्र में नामजद 38 लोगों में 16 को सबूत के अभाव में पहले ही आरोपमुक्त कर दिया था. इनमें अमित शाह, राजस्थान के तत्कालीन गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया, गुजरात पुलिस के पूर्व प्रमुख पी सी पांडे  गुजरात पुलिस के पूर्व वरिष्ठ ऑफिसर डीजी वंजारा शामिल हैं.