शिवसेना ने मोदी सरकार पर लगाया ये बड़ा आरोप, जो अब तक नहीं था किसी को पता…

शिवसेना कहा है कि लॉकडाउन के कारण पहले ही सामान्य जनता की कमर टूट गई है। कई लोगों की नौकरी छिन गई है। जिनकी सुरक्षित है, उन पर भी नौकरी जाने की तलवार लटक रही है।

इसके अलावा कई लोगों की तनख्वाह में कटौती हो ही रही है, ऐसे समय में आम जनता की जेब में कुछ डाल नहीं सकते होंगे तो कम से कम जितना कुछ शेष बचा है, उसे भी क्यों छीनते हो?

सामना में शिवसेना ने आगे लिखा है कि पेट्रोल-डीजल की कीमतें नहीं बढ़ेंगी, ऐसा ‘वचन’ सरकार ने उस पर ‘कृषि उपकर’ लगाने के बाद दिया था। परंतु हमेशा की तरह ये भी ‘शब्दों का बुलबुला’ ही सिद्ध हुआ।

सरकार अब अंतर्राष्ट्रीय बाजार की ओर उंगली दिखाकर अपना बचाव करेगी ही। परंतु घरेलू रसोई गैस की कीमतों में भारी दर वृद्धि का क्या? वर्तमान सत्ताधारियों की यह शब्दों की जुमलेबाजी देश के लिए नई नहीं है।

जानकारी के अनुसार शिवसेना ने रसोई गैस की कीमत का मुद्दा भी उठाया है। शिवसेना ने लिखा है कि रसोई गैस की दर में वृद्धि का क्या? उसका सरकार के पास क्या जवाब है?

उस पर उसमें भी गंभीर बात यह है कि रसोई गैस सिलिंडर महंगा और व्यावसायिक गैस सिलिंडर सस्ता, ऐसा यह मामला है। रसोई गैस सिलिंडर सीधे 25 रुपए महंगा हो गया तो व्यावसायिक गैस सिलिंडर की कीमतें 5 रुपए सस्ती हो गई। मूल्य निर्धारण नीति का यह कैसा मामला है?

पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दामों ने आम लोगों को आफत में डाल रखा है। रसोई गैस सिलेंडर के दाम में भी लगातार बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। वहीं अब इस मसले पर सियासत भी तेज हो गई है। इस मामले को लेकर शिवसेना ने केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा है।

शिवसेना ने सामना में लिखा है कि केंद्र की सरकार कहती कुछ है और करती कुछ अलग ही है, केंद्रीय आर्थिक बजट में सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर ‘कृषि उपकर’ लगाया। इससे दर वृद्धि होगी, ऐसा दृश्य निर्माण हुआ था।

तब पेट्रोल-डीजल की कीमतें नहीं बढ़ेंगी, ऐसा केंद्र सरकार की ओर से स्पष्ट किया गया था। परंतु यह वचन हवा में घुला-मिला भी नहीं, इतने में पेट्रोल-डीजल ही नहीं, बल्कि रसोई गैस सिलिंडर के दाम भी बढ़ गए।

चार दिन पहले सरकार के एक मंत्री ने कहा था कि पेट्रोल-डीजल पर लगाए गए कृषि उपकर का कोई भी परिणाम पेट्रोल-डीजल की दर वृद्धि पर नहीं होगा। फिर चार ही दिन में यह दर वृद्धि कैसे हुई?