शिप्रा शर्मा की अफगानिस्तान में आतंकियों ने की हत्या

वह कहती थी कि पाकिस्तान की मलाला युसुफ़ज़ई उम्र में मुझसे छोटी होकर भी आतंक के खिलाफ खड़ी हो सकती है…। बेखौफ होकर आतंकवाद से प्रभावित लोगों की मदद कर सकती है तो मैं क्यों नहीं कर सकती…। इसी जज्बे ने राजस्थान के जोधपुर शहर के कृष्ण नगर की शिप्रा शर्मा को अफगानिस्तान पहुंचा दिया।

14 जनवरी 2019 को जब पूरा देश मकर संक्रांति मना रहा था उस समय अफगानिस्तान के काबुल (kabul bomb blast 2019) में हुए आतंकी हमले में राजस्थान की ‘मलाला युसुफ़ज़ई’ शिप्रा शर्मा की जान चली गई। बता दें कि जोधपुर की शिप्रा शर्मा लम्बे समय से मुम्बई के एनजीओ से जुड़कर पिछले 3 माह से काबुल में अफगानिस्तान इंस्टीट्यूट फॉर सिविल सोसायटी (aics) के साथ मिलकर आतंकवाद प्रभावित लोगों के कल्याण लिए काम कर रही थी। Jodhpur woman Shipra sharma के मामा राजकुमार शर्मा ने बताया कि उनके परिवार को 15 जनवरी की दोपहर को सूचना मिली कि आतंकी हमले में शिप्रा घायल हो गई है। बाद में अफगानिस्तान स्थित भारतीय दूतावास ने फोन करके शिप्रा की मौत की जानकारी दी। राजकुमार शर्मा के अनुसार शिप्रा मलाला युसुफ़ज़ई से काफी प्रभावित थी और वह उसी की तरह का काम करना चाहती थी।

नया साल मनाकर काबुल लौटी थी शिप्रा

Terrorist Attacks in Kabul में मारी गई शिप्रा शर्मा के पिता पवन कुमार शर्मा ने बताया कि वह नया साल मनाने जोधपुर आई थी। घर पर रुकी थी। 13 जनवरी को जोधपुर से वापस काबुल चली गई। अगले ही दिन काबुल के ग्रीन विलेज कंपाउंड को आतंकियों ने आरडीएक्स भरे ट्रक से टकराकर उड़ा दिया। शिप्रा इसी कंपाउंड में रहती थी।

कुछ देर पहले ही घर पर किया था वीडियो कॉल

Rajasthan की शिप्रा शर्मा ने घटना से कुछ देर पहले अपने घर पर वीडियो कॉल करके मां व अन्य परिजनों से बात की थी। उसने कहा कि वह सकुशल पहुंच गई है। यहां सबकुछ ठीक है, मगर किसी ने सोचा भी नहीं था कि कुछ देर बाद ही यह बेटी आतंकी हमले में मारी जाएगी। हमले से ग्रीन विलेज कंपाउंड की पूरी इमारत मलबे में दब गई थी। शिप्रा के पिता पवन कुमार शर्मा ने बेटी की बहादुरी पर गर्व जताते हुए कहा कि उसने जिस जज्बे के साथ खतरों से भरी जगह पर काम किया, वो कोई और नहीं कर सकता।