उन्होंने बताया कि अहमदाबाद से 210 किलोमीटर दूर राजकोट में दो दिवसीय हिंदू आचार्य सभा मीटिंग में मौजूद भागवत व संतों ने स्पष्ट रूप से विचार जाहीर किया कि मंदिर का निर्माण मई 2019 से पहले प्रारम्भ हो जाना चाहिए जब नरेंद्र मोदी गवर्नमेंट का कार्यकाल खत्म होगा. हिंदू नेताओं ने बताया कि मीटिंग में शाह ने भरोसा दिया कि अयोध्या में मंदिर का निर्माण होगा.
शुक्रवार को सम्पन्न हुई मीटिंग में भाग लेने वाले आचार्य सतगिरि महाराज ने कहा, ‘‘मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की गई. एक रास्ता विधिक रास्ता हैनेता अपना कार्य कर रहे हैं. संतों ने बोला कि वे राममंदिर निर्माण को जितना जल्दी संभव हो आगे बढ़ाना चाहते हैं.’’ राजस्थान के जोधपुर के रहने वाले सतगिरि महाराज ने कहा, ‘‘मैं उम्मीद करता हूं कि वे दो। । तीन महीने में कुछ करेंगे.’’
उच्चतम कोर्ट द्वारा बाबरी मस्जिदरामजन्मभूमि मालिकाना हक टकराव पर जनवरी में सुनवायी किये जाने की उम्मीद है. यह पूछे जाने पर कि क्या बीजेपी को मंदिर का निर्माण 2019 से पहले प्रारम्भ करने का एक अल्टीमेटम दिया गया, सतगिरि ने ना में जवाब दिया.
सतगिरि ने कहा, ‘‘मोहनजी ने अपनी ख़्वाहिश जाहीर की कि राममंदिर का निर्माण 2019 चुनाव से पहले प्रारम्भ होना चाहिए लेकिन कोई अल्टीमेटम नहीं दिया गया.’’
एक अन्य संत ने बोला कि शाह ने मीटिंग में विधिक मामले की जानकारी साझा की व उच्चतम कोर्ट द्वारा मामले की सुनवायी जनवरी में लिये जाने की आसार के बारे में बात की.
संत ने कहा, ‘‘शाह ने हमें भरोसा दिया कि मंदिर का निर्माण उसी स्थल (अयोध्या में वहीं जो कि विवादों में है) पर होगा.’’ एक तीसरे संत ने धैर्य रखने की बात की व कहा, ‘‘वे (आरएसएस व भाजपा) जो भी महत्वपूर्ण है करेंगे (मंदिर निर्माण के लिए).’’
आरएसएस प्रवक्ता विजय ठाकुर ने बोला कि हिंदू आचार्य सभा का आयोजन प्रत्येक दो साल पर होता है जिसमें हिंदू समाज से संबंधित सामाजिक, राजनीतिक व शैक्षणिक मुद्दों पर चर्चा होती है. हिंदू सभा में भागवत व शाह के अतिरिक्त राम माधव व सुब्रमण्यम स्वामी जैसे नेताओं ने भी भाग लिया.
स्वामी ने बोला कि दलीलें हिंदुओं के पक्ष में हैं कि उन्हें राममंदिर के लिए जमीन मिल जाएगी लेकिन सवाल यह है कि उच्चतम कोर्ट मामले की सुनवायी कब करेगा. उन्होंने कहा,‘‘ (पूर्व प्रधानमंत्री) नरसिंह राव ने बोला था कि यदि यह साबित हो जाता है कि उसी जगह पर एक मंदिर था तो हम जमीन हिंदुओं को दे देंगे, इंडियन पुरातत्व सर्वेक्षण ने भी यह साबित किया है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘उच्चतम कोर्ट ने भी निर्णय दिया है कि नमाज के लिए मस्जिद महत्वपूर्ण भाग नहीं है जो कि कहीं भी की जा सकती है. सभी चीजें व दलीलें हमारे पक्ष में है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘अब देखना है कि सुनवायी कब होती है व निर्णय कब आता है.’’ मीटिंग राजकोट में अर्ष विद्या मंदिर में हुई जिसमें करीब 100 प्रतिभागियों ने भाग लिया.
आरएसएस सहित हिंदुत्व संगठनों ने पिछले कुछ महीनों में मंदिर निर्माण जल्द करने को लेकर अपनी मांग तेज कर दी है व भागवत सहित कई इसके लिए कानून बनाने पर जोर दे रहे हैं.