वैज्ञानिकों ने खोज निकाला ये अनोखा तरीका, प्लास्टिक की जगह घास का होगा इस्तेमाल , जानिए कैसे…

डेनिश टेक्नोलॉजिकल इंस्टीट्यूट ( Danish Technological Institute) के केंद्र निदेशक ऐनी क्रिस्टीन स्टीनक जोर हस्त्रुप (Anne Christine Steenk joar Hastrup) बताते हैं कि घास से बनी डिस्पोजेबल पैकेजिंग के बहुत सारे पर्यावरणीय फायदे हैं. पैकेजिंग 100 फीसदी बायोडिग्रेडेबल होगी, ऐसे में कोई इसे बाहर भी छोड़ देगा तो ये अपने आप नष्ट हो जाएगी.

इस सामग्री को बनाने के लिए सिनप्रोपैक (SinProPack) नाम का प्रोजेक्ट शुरू किया गया है. इस प्रोजेक्ट के तहत डिस्पोजेबल प्लास्टिक के लिए स्थायी विकल्प तैयार करना है. इस योजना के तहत घास के रेशों से पैकिंग की जांच छोटे स्केल पर होगी और सफल होने पर इसे फूड पैकेजिंग के लिए इस्तेमाल किया जाएगा.

अब वैज्ञानिक इस जुगत में लगे हैं कि प्लास्टिक की पैकिंग को कम से कम भोजन से तो दूर रखा जाए. इस सिलसिले में भारत में कई बार केले, ताड़ और ऐसे बड़े पत्तों का इस्तेमाल फूड पैकेजिंग के करने के स्टार्ट अप सामने आए.

अब विदेशों में भी इस पर चल रही रिसर्च के बाद प्लास्टिक की जगह घास से रेशों का इस्तेमाल करने पर विचार हो रहा है. घास के रेशे सौ फीसदी बायोडिग्रेबल और डिस्पोजबल हैं. इसे पर्यावरण को भी नुकसान नहीं होगा.

दुनिया भर में प्लास्टिक का बढ़ता उपयोग पर्यावरण के लिए बड़ी समस्या बनती जा रही है. एक अनुमान के मुताबिक दुनिया भर में हर साल करीब 50 हजार करोड़ प्लास्टिक की थैलियों का इस्तेमाल होता है.

इस हिसाब से हर मिनट हम 10 लाख से ज्यादा पॉलिथिन या प्लास्टिक पैकिंग (plastic packing) का उपयोग करते हैं. सबसे खतरनाक बात तो ये है कि अब फूड पैकेजिंग (food pakaging) के लिए भी प्लास्टिक का इस्तेमाल धड़ल्ले से हो रहा है, जो पर्यावरण के साथ-साथ हमारे स्वास्थ्य के लिए भी ठीक नहीं है.