विश्व तपेदिक दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने बनाया ये लक्ष्य, किया इनको सैल्यूट

विश्व तपेदिक दिवस के मौके पर रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तपेदिक मुक्त भारत के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा है कि, उनकी सरकार विश्व लक्ष्य से पांच साल पहले इसे हासिल करने में गंभीरता से जुटी हुई है। PM मोदी ने अपने संदेश में कहा कि, हम तपेदिक मुक्त समाज के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह गरीबों के लिए बहुत ही फायदेमंद रहेगा। तपेदिक का सही और पूरा उपचार ही इस बीमारी का कारगर निदान है। तपेदिक मुक्त आंदोलन का संचालन करने वाले लोगों और संगठनों को मैं सैल्यूट करता हूं।

PM मोदी ने कहा कि, केंद्र और विभिन्न राज्य सरकारें देश को विश्व के 2030 तक तपेदिक मुक्त लक्ष्य से 5 साल पहले 2025 तक तपेदिक मुक्त बनाने की दिशा में कड़े परिश्रम से जुटी हुई हैं। उन्होंने कहा कि, केंद्र सरकार का तपेदिक मुक्त भारत अभियान और आयुष्मान भारत तपेदिक मरीजों के स्वास्थ्य को सुधारने और सहायता उपलब्ध कराने में कारगर साबित हो रहा है।

क्या है टीबी?

टीबी यानी ट्यूबरकुलासिस को क्षय रोग, तपेदिक, राजयक्ष्मा, दण्डाणु इत्यादि नामों से भी जाना जाता है। टीबी एक संक्रामक बीमारी है और इससे ग्रसित व्यक्ति में शारीरिक कमजोरी आ जाती है और इसके साथ ही उसे कई गंभीर बीमारियां होने का भी खतरा रहता है। टीबी सिर्फ फेफड़ों का ही रोग नहीं है, बल्कि शरीर के अन्य हिस्सों को भी यह प्रभावित करता है। बता दें कि, टीबी लाइलाज नहीं है। थोड़ी सी सजगता बरतें और समय पर इलाज कराएं तो इस बीमारी को मात दी सकती है। डॉक्टरों की मानें तो इलाज के दौरान आराम महसूस करने पर बीच में दवा छोना सबसे बी लापरवाही साबित होगी। टीबी के मरीज यदि 6 महीने तक दवा लेकर कोर्स पूरा कर लें तो टीबी पूरी तरह ठीक हो सकती है।

बढ़ रहे टीबी के मरीज

वर्ष 2017 में अक्टूबर में विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक भारत उन 7 देशों की लिस्ट में शामिल था, जहां टीबी के सबसे ज्यादा मरीज है। डब्ल्यूएचओ की वैश्विक टीबी रिपोर्ट 2017 के अनुसार भारत, इंडोनेशिया, चीन, फिलीपींस, पाकन, नाजीरिया और साउथ अफ्रीका में इससे गंभीर रूप से प्रभावित है। दुनिया में टीबी के मरीजों की संख्या का 64% सिर्फ इन्हीं 7 देशों में है, जिनमें भारत सबसे ऊपर है।

: 24 मार्च विश्व क्षय रोग दिवस (TB)

वही दूसरी तरफ एचआईवी ग्रसित मरीजों में टीबी से होने वाली मौतों में कमी आई है। संयुक्तराष्ट्र द्वारा एचआईवी एड्स के लिए रखे गए एक कार्यक्रम के दौरान कहा गया कि, 20 से अधिक देशों में इस आंकड़े में इजाफा हुआ है, जबकि भारत में 84 फीसदी की कमी आई है।