विटामिन सी की कमी को पूरा करने के लिए खाए ये फल

सी आई एस एच उपभोक्ताओं की मांगो और प्रसंस्करण उद्योग की जरूरतों के अनुरुप अधिकतम पैदावार देने वाली अमरुद की नई नई किस्म के विकास को लेकर चर्चित रहा है । इस संस्थान ने अमरुद के लाखों पौधे तैयार किए हैं जिसे देश के अलग अलग हिस्सों में लगाया गया है । अमरुद की ललित ,श्वेता और धवल किस्मों को बड़ी संख्या में अलग अलग राज्यों में किसानों ने लगाया है ।

विटामिन सी और बायोएक्टिव तत्वों से भरपूर होने के कारण दिन प्रतिदिन अमरुद के पौधों की मांग बढ़ रही है । सुपाच्य रेशे के कारण इसे मधुमेह पीड़तिो के लिए उपयुक्त माना जाता है ।संस्थान की ओर से विकसित ललित किस्म न केवल विटामिन सी से भरपूर है बल्कि इसमें लाइकोपीन भी है।

थाई अमरुद भारतीय अमरुद की तरह स्वादिष्ट और मीठा नहीं है लेकिन लोगों में यह धारणा बनी है कि थाई अमरुद काम मीठा होने के कारण मधुमेह से पीड़ति लोगों के लिए उपयुक्त है जिसके कारण इसकी मांग बढ़ रही है ।

थाईलैंड का अमरुद महानगरों और बड़े शहरों में 15० से 2०० रुपए प्रति किलो मिलता है । थाई अमरुद बिना फ्रिज के आठ दस दिनों तक तरोताजा बना रहता है जबकि परम्परागत किस्मों का स्वाद और स्वरूप दो तीन दिनों के बाद खराब होने लगता है ।

इस अनुसंधान का उद्देश्य क्रंची अमरुद के विकास के साथ साथ उसमे परम्परागत मिठास लाना भी है । किसान नए किस्म के अमरुद का विकास चाहते हैं जिससे उन्हें बाज़ार में अच्छा मूल्य मिल सके ।

संस्थान के निदेशक शैलेन्द्र राजन के अनुसार अधिकांश भारतीय किस्म के अमरुद का गुदा मुलायम और यह थाई अमरुद से अलग होता है। हाल के दिनों में थाईलैंड के अमरुद का आयात बढ़ा है और इसके क्रंची स्वरूप ने लोगों को प्रभावित किया है।

देश में क्रंची अमरुद की बढ़ती मांग को पूरा करने को लेकर अनुसंधान शुरु कर दिया गया है और जल्दी ही नयी किस्म के विकास की उम्मीद की जा रही है। केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, रहमानखेड़ा, लखनऊ ने किसानों की मांग के अनुरूप क्रंची किस्म के अमरुद के विकास के लिए प्रजनक कार्यक्रम शुरु कर दिया है ।