लोकसभा चुनाव 2019: जानिए दौली संसदीय सीट से ये नेता है सबसे आगे

दौली संसदीय सीट के लिए प्रातः काल आठ बजे से मतगणना प्रारम्भ हो चुकी है. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष डा महेन्द्र पांडेय दो चक्र की गणना के बाद दो हजार से भी ज्यादा वोटों से आगे चल रहे थे.

महेंद्र पांडेय को 9798 अौर सपा के  संजय चौहान को 7140 मत मिले थे. यहां बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडेय समेत  13 प्रत्याशियों के किस्मत का निर्णय होगा. नवीन मंडी परिसर में मतगणना के लिए कड़ी सुरक्षा की गई है. पहले स्याही काण्ड फिर ईवीएम को लेकर हो चुके टकराव को देखते हुए प्रशासन अलावा सतर्कता बरत रहा है. करीब 30 राउंड गणना के बाद रिजल्ट घोषित किया जायेगा.

मतगणना के लिए विधानसभावार एआरओ समेत 14 टेबुल लगाया गया है. प्रत्येक विधानसभा के 5 बूथों के मतदान पर्ची का मिलान करने के लिए एक अलग से काउंटर बनाया गया है. प्रत्येक टेबुल पर चार ककर्मचारी लगाए गये है. इसके लिए मतगणना कार्मिकों को चिह्नित कर नियुक्त कर दिया गया है. वहीं पोस्टल बैलेट मतों के लिफाफे के विधानसभा क्षेत्रवार मतगणना कक्ष में भी टेबल लगाया गया है. क्यूआर कोड को स्कैन करने के बाद लिफाफे की सील खोली जाएगी.

इन प्रत्याशियों का होगा किस्मत का फैसला

चंदौली सीट पर कुल 13 प्रत्याशियों के आज किस्मत का निर्णय होना है. इसमें बीजेपी से डॉ महेंद्रनाथ पांडेय, सपा-बसपा गठबंधन से संजय सिंह चौहान, जन अधिकार पार्टी (कांग्रेस गठबंधन) से शिवकन्या कुशवाहा, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी से रामगोविंद, अतुल्य हिंदुस्तान पार्टी से अर्जुन पांडेय, पृथ्वीराज जनशक्ति पार्टी से शिवरात्रि, अल हिन्द पार्टी से महेंद्र प्रताप सिंह, प्रगतिशील मानव समाज पार्टी से महेंद्र यादव, मौलिक अधिकार पार्टी से राजेश विश्वकर्मा, कांशीराम बहुजन दल से व्यासमुनि, समग्र उत्थान पार्टी से कृष्ण प्रताप सिंह, भारतीय मानव समाज पार्टी से जंगबहादुर  निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में लियाकत अली शामिल है.

वाराणसी से सटा चंदौली संसदीय सीट का अधिकतर भाग ग्रामीण अंचलों से घिरा है. खेतीबाड़ी यहां के लोगों की आजीविका का प्रमुख साधन है. पूर्व सीएम पंडित कमलापति त्रिपाठी के बाद किसी भी राजनेता ने सिंचाई संसाधन के लिए कोई ठोस पहल नहीं की. 21वीं सदी में भी जातिवाद  क्षेत्रवाद चुनाव पर हावी रहता है. इसी का परिणाम है कि 22 वर्ष जिला सृजन के बाद भी अब तक जिला मुख्यालय तक का निर्माण पूरा नहीं हो सका है.

चंदौली संसदीय सीट देश के पहले लोकतांत्रित चुनाव के समय से ही अस्तित्व में है. 1997 में तत्कालीन सीएम मायावती ने वाराणसी से पृथक कर चंदौली जिले का सृजन किया था. जिले का नक्सल प्रभावित क्षेत्र चकिया विधानसभा पड़ोसी राबर्ट्सगंज सीट में समाहित है. चंदौली संसदीय सीट में मुगलसराय, सकलडीहा औरसैयदराजा के अतिरिक्त वाराणसी की अजगरा और शिवपुर विधानसभा शामिल हैं. जिले में न तो कृषि, न रोजगार, न शिक्षा, न स्वास्थ्य  न ही पर्यटन को बढ़ावा मिल सका.

गरीबी और बेरोजगारी के कारण युवाओं का आज भी पलायन जारी है. एजुकेशन के नाम पर दो राजकीय कॉलेज को छोड़कर अधिकतर व्यक्तिगत महाविद्यालय ही हैं. बुनकरों की हजारों आबादी भुखमरी की शिकार हो रही है. उत्तर प्रदेश बिहार की सीमा पर बसे चंदौली में चुनाव के समय विकास के मामले की बजाए चुनावी लहर ज्यादा हावी रहती है. 1952 और 1957 के चुनाव में समाजवाद के पुरोधा डा राममनोहर लोहिया को कांग्रेस पार्टी प्रत्याशी त्रिभुवन नारायण सिंह के हाथों में हार का सामना करना पड़ा.

त्रिभुवन नारायण सिंह 1970-71 में यूपी के सीएम  पश्चिम बंगाल के गवर्नर भी रहे. आरंभ पांच चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने लगातार जीत हासिल की. हालांकि 1967 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार निहाल सिंह ने कांग्रेस पार्टी का मिथक तोड़ा. 1977 में जनता पार्टी के नरसिंह यादव और 1980 में निहाल सिंह के सामने कांग्रेस पार्टी को पराजय का सामना करना पड़ा था. वहीं 1984 में पूर्व सीएम  महान कांगे्रसी नेता पंडित कमलापति त्रिपाठी की पुत्रवधू ने संसद में अगुवाई किया.1991 से 98 बीजेपी की लहर ने हैट्रिक मारी. वहीं 1999 से 2009 तक चुनाव में जातिगत वोट की जंग में सपा और बीएसपी के बीच ही उठापटक देखने को मिलता रहा. पिछले चुनाव 2014 में बीजेपी ने एकबार फिर सीट पर अतिक्रमण जमाया.

 

जिले की देश विदेश में है पहचान

पवित्र गंगा नदी के पूर्वी और दक्षिणी हिस्से में स्थित जिले का गौरवमयी इतिहास रहा है. इलाहाबाद के बाद यहां बलुआ में गंगा पश्चिमी वाहिनी होती है. वहीं बाबा कीनाराम की जन्मस्थली पर आज भी दर्शन पूजन को भीड़ उमड़ती है. पड़ाव में भगवान अवधूत राम कुष्ट सेवाश्रम पर देश विदेश से अनुनायी आते हैं. पर्यटन के दृष्टिकोण से राजदरी, देवदरी, लतीफशाह जैसे रमणिक स्थल बहुत ज्यादा विख्यात हैं. धान के उत्पादन में जिला सारे प्रदेश में अग्रणी रहा है. आजादी के पहले तक चंदौली काशी साम्राज्य का ही भाग रहा है. आजादी के जंग में यहां भी क्रांतिकारियों ने अपना बलिदान दिया. रेलवे स्टेशन मुगलसराय परिवर्तित नाम पीडीडीयू जंक्शन की पहचान देश के कोने-कोने में होती है. जिले के कथाकार स्वर्गीय नामवर सिंह, काशीनाथ सिंह, फिल्म एक्टर सुजीत सिंह ने देश विदेश में पहचान दिलायी.

 

कुल मतदाता : 1719883

पुरुष : 9,35,486

महिला : 7,83,797

थर्ड जेंडर : 100

 

संसदीय सीट के विधानसभावार मतदाता

1-मुगलसराय विधानसभा में मतदाता : 3,81,680

2-सकलडीहा विधानसभा में मतदाता : 3,22,474

3-सैयदराजा विधानसभा में मतदाता : 3,20,506

4-अजगरा विधानसभा में मतदाता : 3,44,480

5-शिवपुर विधानसभा में मतदाता : 3,50,243

 

अब तक यह लोग बने सांसद

1952    त्रिभुवन नारायण सिंह (कांग्रेस)

1957    त्रिभुवन नारायण सिंह (कांग्रेस)

1962    बालकृष्ण सिंह (कांग्रेस)

1967    निहाल सिंह (संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी)

1971    सुधाकर पांडेय (कांग्रेस)

1977    नरसिंह यादव (जनता पार्टी)

1980    निहाल सिंह (जनता पार्टी)

1984    चंद्रा त्रिपाठी (कांग्रेस)

1989    कैलाशनाथ सिंह (जनता दल)

1991    आनंदरत्न मौर्या (भाजपा)

1996    आनंदरत्न मौर्या (भाजपा)

1998    आनंदरत्न मौर्या (भाजपा)

1999    जवाहरलाल जायसवाल (सपा)

2004    कैलाशनाथ सिंह यादव (बसपा)

2009    रामकिशुन यादव (सपा)

2014    डॉ महेंद्रनाथ पांडेय (भाजपा)