लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान बाटला हाउस इनकाउंटर

लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान बाटला हाउस इनकाउंटर पर नेताओं के दिए गए बयानों ने इसे फिर से सुर्खियों में ला दिया है. दिल्ली में 13 सितंबर 2008 को हुए बाटला हाउस एनकाउंटर में दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल के इंस्पेक्टर मोहनचंद्र शर्मा शहीद हो गए थे. जबकि अन्य कई पुलिसवालों को गोलियां लगी थी. जानिए इस घटना से जुड़ी हुई ये बातें-

दिल्ली में 13 सितंबर 2008 को हुए सिलसिलेवार बम धमाकों में 26 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे. दिल्ली पुलिस की तफ्तीश में यह सामने आया कि इस घटना को भारतीय मुजाहिद्दीन ने अंजाम दिया था.

जांच में जुटी पुलिस को 19 सितंबर को खुफिया जानकारी मिली कि भारतीय मुजाहिद्दीन से जुड़े पांच आतंकवादी बाटला हाउस के एक मकान में मौजूद हैं. सूचना मिलते ही इंस्पेक्टर मोहनचंद्र शर्मा अपने साथियों के साथ उस मकान की जांच करने के लिए निकल गए.

कहा जाता है कि उस समय दिल्ली पुलिस को यह यकीन नहीं था कि बाटला हाउस के बिल्डिंग नंबर एल-18 में फ्लैट नंबर 108 में भारतीय मुजाहिद्दीन के आतंकवादी रह रहे हैं. पुलिस इन लोगों से केवल पूछताछ करने आई थी.

पुलिस को देखते ही आतंकवादियों ने फायरिंग प्रारम्भ कर दी. इस मुठभेड़ के दौरान कई बहादुरी पदक जीत चुके दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा के इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा शहीद हो गए तथा हेड कांस्टेबल बलवान सिंह घायल हो गए थे.

इस मुठभेड़ में मारे गए आतंकवादियों के नाम थे आतिफ उर्फ बशीर  साजिद. इसके अतिरिक्त मोहम्मद सैफ को अरैस्ट किया गया. फ्लैट से एक एके-47, .30 बोर की रिवॉल्वर, दो लैपटॉप, आधा दर्जन मोबाइल फोन  छह पेन ड्राइव बरामद हुए थे.

घटना की जानकारी मिलते ही पूरे इलाके में तनाव फैल गया  मौके पर लोगों की भीड़ जुट गई. पुलिस ने उस बिल्डिंग को सील कर दिया. 6 फरवरी, 2010 को इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा की मौत के मामले में पुलिस ने शहजाद अहमद को अरैस्ट किया.

25 जुलाई 2013 को न्यायालय ने इंस्पेक्टर मोहनचंद्र शर्मा की मौत के मामले में शहजाद अहमद को दोषी करार दिया. 30 जुलाई को उसे उम्रकैद की सजा दी गई.