रॉयल एनफील्ड मतलब बुलेट कर रही सबसे ज्यादा ध्वनि प्रदूषण, अब आ सकता है इस पर ये नियम

आपको यह जानकर बेहद आश्चर्य होगा कि भड़ भड़ भड़ भड़ की भारी भरकम आवाज कर चलने वाली आपकी बुलेट की शुरुआत एक छोटी सी सुई से हुई थी. कपड़े सिलने वाली सुई से जिस कंपनी ने 1851 में शुरुवात की उसकी रॉयल एनफील्ड मोटरसाइकिल 1950 आते आते विश्व भर में फ़ैल चुकी थी. रॉयल एनफीएल्ड का समय ऐसा रहा कि किंवदंती बन चुकी मोटरसाइकिल बुरी तरह डूबी और ऐसी डूबी कि कभी उबार नहीं पाई. पसंद करने वाले आज भी केवल बुलेट यानि रॉयल एनफील्ड को ही पसंद करते हैं लेकिन विश्व भर में बुलेट दुनिया के बहुत से हिस्सों में बंद हो चुकी है.

1949 से रॉयल एनफील्ड मोटरसाइकिलें भारत में बेची जा रही हैं. 1955 में भारत सरकार को देश की सीमा पर गश्त के उपयोग के लिए अपनी पुलिस और सेना के लिए एक उपयुक्त मोटरसाइकिल की तलाश थी. बुलेट इस काम के लिए सबसे उपयुक्त बाइक लगी इसलिए भारत सरकार ने 800 350 सीसी मॉडल बुलेट्स का आर्डर दिया. उस समय के लिए एक बहुत बड़ा आर्डर था. उसी साल 1955 में इंग्लैंड की रेडडिच कंपनी भारत में मद्रास मोटर्स के साथ मिली.

“एनफील्ड इंडिया” कंपनी को खड़ा करने के लिए मद्रास (जो अब चेन्नई है) में कंपनी बनाई. भारतीय कानून के तहत मद्रास मोटर्स ने कंपनी में बहुमत 50% से अधिक शेयर अपने पास रखे. 1957 में टूलिंग उपकरण को एनफील्ड इंडिया को बेचा गया ताकि वे मोटरसाइकिल का निर्माण कर सकें.

भारत के एनफील्ड ने यूके कारखाने के दिवालिया होने के बाद लंबे समय तक ‘बुलेट’ का उत्पादन जारी रखा. 1999 में अपनी एनफील्ड इंडिआ ने अपनी ब्रांडिंग को ‘रॉयल एनफील्ड’ में बदल दिया. ‘रॉयल एनफील्ड’ नाम और अधिकार मैट होल्डर  ने 1967 में दिवालिया कंपनी की बिक्री के दौरान खरीदे थे.

होल्डर परिवार ने 1967 से लेकर वर्तमान तक रॉयल एनफील्ड मोटरसाइकिलों के लिए स्पेयर का उत्पादन किया है लेकिन रॉयल एनफील्ड नाम के तहत मोटरसाइकिल का व्यापार नहीं किया. डेविड होल्डर ने भारत के एनफील्ड द्वारा ‘रॉयल एनफील्ड’ के उपयोग पर विरोध किया, जबकि ब्रिटेन की एक अदालत ने भारतीय कंपनी के पक्ष में फैसला सुनाया. इसलिए अब भारतीय कंपनी ने ट्रेडमार्क ग्रहण किया है और रॉयल एनफील्ड के रूप में मोटरसाइकिलों का उत्पादन बेहद सफता से कर रही है.

रॉयल एनफील्ड भारत में ही मोटरसिकलों का निर्माण और बिक्री करता है. इसके साथ ही यूरोप, अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया में भी निर्यात करता है. उन्होंने हाल ही में इंडोनेशियाई बाजार में भी प्रवेश किया है.

रॉयल एनफील्ड की रीडिज़ाइन के बाद ने बाइक की डिमांड इतनी बढ़ गयी है कि रॉयल एनफील्ड ने अपनी फैक्ट्रीज में दुगुनी मोटरसाइकिल का उत्पादन कर रही है.

जब भारत का दोपहिया उद्योग 2014 में तेज़ी से बढ़ा, मोटरसाइकिल की बिक्री में मामूली 2.5% की बढ़ोतरी हुई. रॉयल एनफील्ड ने बिक्री में 70% इज़ाफ़ा दर्ज किया. 300,000 बाइक रिकॉर्ड बेचीं और पहली बार शक्तिशाली हार्ले-डेविडसन को हराया.

रॉयल एनफील्ड मांग में कमी का कोई संकेत नहीं दिखता है, और डिमांड के बावजूद, एनफील्ड अभी भी पर्याप्त उत्पादन नहीं कर सकता है. खरीदारों को कुछ मॉडलों के लिए पांच महीने तक इंतजार करना पड़ता है.

एनफील्ड नाम के पुराने ब्रिटिश ब्रांड को पुनर्जीवित करने और इसे एक ज़बरदस्त पैसा बनाने वाली मशीन में बदलने के लिए श्रेय सिद्धार्थ लाल को जाता है जो ट्रेक्टर बनाने वाली ईशर कंपनी के मालिक हैं.

2004 में उन्होंने ईशर समूह चलाने का प्रभार लिया, जो कि कई व्यवसायों का सामूह था. मोटरसाइकिल और ट्रक पर ध्यान केंद्रित करने के लिए उन्होंने विरासत ट्रैक्टर इकाई समेत सभी को बेच दिया. 2009 में ईशर की किस्मत बदल गई जब उसने रॉयल एनफील्ड क्लासिक लॉन्च किया, विंटेज फीचर्स वाला बाइक लेकिन एक आधुनिक इंजन के साथ. यह एक तत्काल बेस्टसेलर था और एनफील्ड के सबसे अधिक मांग वाला मॉडल बना रहा .

2013 में खोले गए एक नए कारखाने के साथ, एनफील्ड आज सालाना 450,000 मोटरसाइकिल निकाल रहा है और दुनिया भर में बेच रहा है.

रॉयल एनफील्ड के सफर पर एक नजर..

रॉयल एनफील्ड ने पिछले सौ साल में ढेरों उतार चढ़ाव देखे हैं

1901 में एनफील्ड के शुरुवात इंग्लैंड के रेडडिच से हुई

1920 आते आते स्पोर्ट्स मॉडल और लेडीज साइकिल बनी

इसी दशक में एनफील्ड की रेसिंग मोटरसाइकिल भी खासी मशहूर हुई

1932 में पहली बुलेट आई और इंग्लैंड में छा गई

द्वितीय विश्व युद्ध शुरू होते ही बुलेट को सेना के इस्तेमाल के लिए बनाया

दक्षिण इंग्लैंड में एक खुफ़िआ फैक्ट्री में बुलेट का निर्माण शुरू हुआ

1953 में भारत सरकार ने बुलेट को सेना के लिए चुना

मद्रास मोटर्स को 750 बुलेट का आर्डर मिला

1955 में मद्रास मोटर्स को लाइसेंस मिला और एनफील्ड इंडिया कंपनी बनी

अब बुलेट भारत में बननी शुरू हुई

1960 के दशक मेंब 750 सीसी जीटी कॉन्टिनेंटल आई जो युवाओं को पसंद थी

1970 के दशक में डिमांड बढ़ी और भारत से बुलेट इंग्लैंड जाने लगी

1990 में ईशर ने एनफील्ड इंडिया में 26% हिस्सेदारी खरीदी और 1993 तक ६०

नवम्बर 2009 में क्लासिक का जन्म हुआ जो आज भी दुनिया में मशहूर है

एनफील्ड आज सालाना 450,000 मोटरसाइकिल दुनिया भर में बेच रहा है