रेरा से इस एरिया में छायी सुस्ती अब होगी दूर

रियल एस्टेट नियामक कानून (रेरा) से इस एरिया में छायी सुस्ती अब दूर हो सकती है. दरअसल, रेरा के कठोर प्रावधान की वजह से बिल्डर नयी परियोजनाएं लांच करने केबदले पुरानी परियोजनाओं को पूरा करने पर जोर दे रहे थे. लेकिन बजट में रियल एस्टेट से जुड़ी सकारात्मक घोषणा होने की वजह से अब इस एरिया में छायी मंदी दूर हो सकती है.

रेरा के अमल में आने केबाद इस एरिया में कार्य करने वालों को जरूरी रूप से पंजीकरण करवाना पड़ा  सारी जानकारी एक क्लिक पर देनी पड़ी. जब पारदर्शिता बढ़ी तो लोगों को पता चलने लगा कि कहां क्या गड़बड़ी चल रही है. इसी वजह से रियल एस्टेट एरिया में एक तरह से मंदी की स्थिति आ गई. ऊपर से नोटबंदी केबाद इनकम टैक्स विभाग की सख्ती बढ़ी इसी बीच चीज एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू हो गई. इससे सीमेंट जैसी जरूरी चीज पर 28 प्रतिशत का GST लागू हो गया.

इसलिए इसमें नयी परियोजनाएं आनी लगभग बंद हो गई. विशेषज्ञ कहते हैं कि रेरा के कठोर प्रावधान की वजह से बिल्डर पुरानी परियोजनाओं को पूरा करने पर जोर देने लगे. दूसरी तरफ मांग घटी, इसलिए नयी परियोजनाएं तो गायब ही हो गईं. सिर्फगिने-चुने बिल्डरों ने ही सीमित संख्या में परियोजना प्रारम्भ की.

आएंगे नए खरीदार, प्रारम्भ होगी नयी परियोजनाएं

कफेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (क्रेडाई) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जक्षय शाह का कहना है कि रियल एस्टेट केक्षेत्र में चल रही अनियमितताओं को दूर करने के लिए केन्द्र गवर्नमेंट की पहल रियल एस्टेट नियामक कानून के लागू होने से परियोजनाओं में खरीदारों का तो भरोसा बढ़ा था, लेकिन तब भी नयी परियोजनाएं दूर की कौड़ी थीं. लेकिन अब इस एरिया में न सिर्फनए खरीदार आएंगे बल्कि नयी परियेाजनाएं भी लांच होंगी.

उनका कहना है कि रेरा के आने के बाद स्थिति तो बदली थी, लेकिन इसके कुछ प्रावधानों की वजह से बिल्डर नयी परियेाजनाओं को प्रारम्भ करने केबदले पुरानी परियोजनाओं को पूरा करने पर जोर दे रहे थे. इसी समय मार्केट में लिक्विडिटी क्रंच भी हुआ. लेकिन अब भरोसा बढ़ने से स्थिति बदलेगी. उनका कहना है कि किसी भी मार्केट के पनपने  फैलने के लिए ग्राहक  बिल्डर के बीच भरोसा सबसे बड़ा कारक होता है.

रियल एस्टेट मार्केट में रेरा ने ग्राहकों में एक ऐसा भरोसा जगा दिया है कि ग्राहक यह सोचने लगे हैं कि संपत्ति कैसी भी हो, यदि रेरा का पंजीकरण है तो मेरा आशियाना सुरक्षित है.इससे ग्राहकों  बिल्डरों के बीच बेहतर संबंध बन रहे हैं.

रेरा केबाद भी है दिक्कतें

शाह का कहना है रेरा के आने के बाद भी कुछ दिक्कतें हैं. मसलन, एक तरफ तो रेरा के जरिये बिडरों पर तमाम अंकुश लगा दिये गए हैं, लेकिन बिल्डर को जिन सरकारी विभागों के साथ तालमेल बिठा कर चलना है, वहां अभी भी स्थिति जस की तस है. वहां यदि स्थिति नहीं सुधरेगी तो बिल्डर चाहें लाख घोड़े खोल लें, परियोजनाएं समय से पूरी नहीं होंगी.

गाजियाबाद में कार्य करने वाले एक बिल्डर ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया कि प्राधिकरण वाले हर टेबल के बाबू बिल्डर की फाइल आगे बढ़ाने के लिए नजराना चाहते हैं.उनके सामने बिल्डर की हालत वैसी ही होती है, जैसी कि ट्रेफिक हवलदार के सामने मोटर केड्राइवर की. आप जितना कागज दुरूस्त रखें, वह कुछ न कुछ कमी निकाल ही देगा.

जीएसटी की दिक्कतें भी हो रही हें दूर

नेशनल रियल एस्टेट डेवलपमंट काउंसिल (नरेडको) के अध्यक्ष निरंजन हीरानंदानी का कहना है कि चीज एवं सेवा कर (जीएसटी) आने के बाद मकान खरीदने वालों केलिए इसका बोझ बढ़ा है. अब इनके  बोझ को कम करने का एक कोशिश चल रहा है. गवर्नमेंट ने मंत्रियों के एक समूह का गठन कर दिया है, जिसकी रिपोर्ट आने के बाद इसे लागू किया जाएगा.