दिल्ली उच्च कोर्ट ने 2014 में दक्षिणी दिल्ली के एक अपार्टमेंट में 81 वर्षीय महिला की मर्डर व दुष्कर्म के क्राइम में नीरज सफी नाम के घरेलू नौकर को बेगुनाह करार देते हुए रिहा कर दिया है। आपकी जानकारी के लिए बताते चलें कि फरवरी 2017 में एक निचली न्यायालय ने 22 वर्षीय सफी को क्राइम के लिए दोषी ठहराते हुए उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। जानकारी के मुताबिक इस केस में पीड़ित महिला के नौकर सफी पर 7 जुलाई, 2014 को उसके ग्रेटर कैलाश-2 स्थित घर में उसके साथ दुष्कर्मकरने व उसे मार डालने का आरोप था।
दिल्ली न्यायालय ने पलट दिया ट्रायल न्यायालय का फैसला
दिल्ली न्यायालय ने गुरुवार को ट्रायल न्यायालय के निर्णय को पूरी तरह से पलटते हुए कहा, “अभियोजन पक्ष द्वारा पेश किए गए सबूत यह साबित करने में असफल साबित हुए हैं कि अपीलकर्ता (सफी) क्राइम के लिए जिम्मेदार है। ” उच्च कोर्ट ने आगे कहा, “इस मामले में क्राइम वास्तव में भयानक है। एक बुजुर्ग महिला को सबसे अमानवीय तरीके से मारा गया गया है। लेकिन कितना भी मजबूत शक हो फिर भी वह सबूत नहीं बन सकता है व यह क्राइम साबित करने के लिए अपर्याप्त है। ”
अपने निर्णय पर न्यायालय की बेंच ने की यह टिप्पणी
दिल्ली न्यायालय में न्यायमूर्ति एस मुरलीधर व न्यायमूर्ति विनोद गोयल की एक पीठ ने सफी की रिहाई के आदेश के दौरान निष्कर्ष बताते हुए कहा, “अपीलकर्ता के विरूद्ध मामला उचित शक से परे साबित होना था। अभियोजन पक्ष वर्तमान स्थिति में ऐसा करने में असफल रहा है। ”
ट्रायल न्यायालय में पुलिस ने बताई थी यह कहानी
पुलिस के मुताबिक 7 जुलाई, 2014 को सफी ने पीड़ित बुजुर्ग महिला के साथ कथित रूप से दुष्कर्म किया था, जो अपने पति की मृत्यु के बाद अकेले रहती थी, व फिर उनकी ही ‘चुन्नी’ से उनका गला घोंट दिया। पुलिस ने मुकदमे के दौरान आरोप लगाया था कि बिहार के मधुबनी के रहने वाले सफी ने केरोसिन का प्रयोग कर पीड़ित महिला के बॉडी को आग लगा दी थी।
इस वजह से न्यायालय ने सफी को किया बरी
उच्च कोर्ट ने सफी के आचरण को गौर किया जैसे कि पड़ोसी व अमेरिका में रह रही मृतक की बेटी को बुलाना व पूरे मामले के दौरान स्पॉट पर मौजूद रहना। इसके बाद माना कि यह ऐसे आदमी का आचरण नहीं है जो इस तरह के गंभीर क्राइम कर रहा हो।