राहुल गाँधी के बाद अब इस बड़े नेता ने भी दिया इस्तीफा, कहा 6 महीने से मिल रहा इतना कम पैसा

आरबीआईके डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य (45) ने कार्यकाल पूरा होने से 6 महीने पहले त्याग पत्र दे दिया है. उन्होंने इसकी वजह व्यक्तिगत बताई है.

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सोमवार को यह जानकारी सामने आई. भारतीय रिजर्व बैंक का बोलना है किकुछ सप्ताह पहले आचार्य का लेटर मिला था. उसमेंकहा गया था कि अपरिहार्य व्यक्तिगत कारणों से 23 जुलाई के बाद डिप्टी गवर्नर के पद पर रहना संभव नहीं होगा. आचार्य के लेटर पर विचार किया जा रहा है.

जनवरी 2020 तक थाकार्यकाल

आचार्य 23 जनवरी 2017 कोरिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर बने थे. वे भारतीय रिजर्व बैंक की फाइनेंशियल स्टेबिलिटी यूनिट, मॉनेटरी पॉलिसी डिपार्टमेंट, डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक एंड पॉलिसी रिसर्च, फाइनेंशियल बाजार ऑपरेशन डिपार्टमेंट व फाइनेंशियल बाजार रेग्युलेशन डिपार्टमेंट के इन्चार्ज भीहैं. डिप्टी गवर्नर के पद पर 3 वर्ष का कार्यकाल जनवरी 2020 में पूरा होना था.पिछले वर्ष उन्होंने केंद्रीय बैंक की स्वायत्ता का मामला उठाया था.

6 महीने में दूसरा बड़ा इस्तीफा

अक्टूबर 2018 में एक सम्बोधन के दौरान आचार्य नेकहा था कि जो सरकार केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता से समझौता करती है उसे मार्केट की नाराजगीझेलनीपड़तीहै. उस बयान के बाद सरकार व भारतीय रिजर्व बैंक के बीच टकराव खुलकर सामने आ गया था. सरकार से विवादों के चलते 10 दिसंबर 2018 को उर्जित पटेल ने गवर्नर पद से त्याग पत्र दे दिया था. उनका कार्यकाल पूरा होने में भी 9 महीने बाकी थे.

आचार्य फिर से एकेडमिक फील्ड मेंजाएंगे

आचार्य आर्थिक उदारीकरण के बाद भारतीय रिजर्व बैंक के सबसे युवा डिप्टी गवर्नर हैं. देश में 1991 में आर्थिक उदारीकरण की नीतियां प्रारम्भ हुई थीं. वे अगस्त में न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी में टीचिंग से जुड़ेंगे. रिजर्व बैंकसे जुड़ने सेपहले भी वे न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी मेंइकोनॉमिक्स के प्रोफेसर थे. उनका परिवार भी अमेरिका में है. आचार्य ने 1995 में आईआईटी मुंबई से कंप्यूटर टेक्नोलॉजी में ग्रेजुएशन की थी. न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर के पद पर रहने से पहले 7 वर्ष लंदन बिजनेस स्कूल (एलबीएस) में थे. वे एलबीएस के कॉलर इंस्टीट्यूट ऑफ प्राइवेट इक्विटी के एकेडमिक डायरेक्टर भी रहे थे. वहीं से उन्होंने बैंक्स एंड फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस पर पीएचडी की थी.

पटेल के इस्तीफे के बाद से असहज थे: रिपोर्ट

उर्जित पटेल के इस्तीफे के बाद यह अटकलें भी लगी थीं कि आचार्य ने भी त्याग पत्र दे दिया है. हालांकि, भारतीय रिजर्व बैंक ने उन खबरों का खंडन किया था.लेकिन, 6 महीने बाद आचार्य ने आखिर त्याग पत्र दे ही दिया. बताया जा रहा है कि वे पटेल के इस्तीफे के बाद से असहज महसूस कर रहे थे.शक्तिकांत दास के गवर्नर बनने के बाद भारतीय रिजर्व बैंक इस वर्ष रेपो रेट में 3 बार कटौती कर चुका है. इनमें से 2 बार आचार्य रेट कट के पक्ष में नहीं थे.

आचार्य ने बोला था- मैं गरीबों का रघुराम राजन हूं
विरल आचार्य ने जब भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर का पद संभाला था उस वक्त नोटबंदी के बाद का दौर था व जमा एवं निकासी के नियमों में बार-बार परिवर्तन को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक की निंदा हो रही थी. आचार्य भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवनर्र रघुराम राजन की नीतियों के समर्थक हैं. वे राजन के साथ फाइनेंशियल व बैंकिंग सेक्टर से जुड़े रिसर्च पेपर व रिपोर्टों में को-ऑथर भी रहे हैं. उन्होंने एक बार खुद को गरीबों का रघुराम राजन भी बोला था.

एन एस विश्वनाथन का कार्यकाल बढ़ाया जा सकता है
आचार्य के इस्तीफे के बाद रिजर्व बैंक में तीन डिप्टी गवर्नर- एन एसविश्वनाथन, बी पी कानूनगो व एम के जैन बचे हैं. विश्वनाथन का कार्यकाल जुलाई के पहले सप्ताह में पूरा हो रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उनका कार्यकाल 2 वर्ष व बढ़ाया जा सकता है.