रामायण काल से जुड़ा है यह मंदिर जहाँ शानी देव को तेल चढाने के बाद करना होता है यह काम

मध्य प्रदेश में ग्वालियर से 18 किमी दूर मुरैना जिले में बना शनि मंदिर कई मामलों में बहुत ज्यादा अलग है. मंदिर का नाम है शनिश्चरा मंदिर. इसका इतिहास रामायण काल से जुड़ा है. यह देश के सबसे प्राचीनतम शनि मंदिरों में से एक माना जाता है. शनिदेव के यहां विराजित होने के कारण इस स्थान को बहुत ही प्रभावशाली माना जाता है.इस मंदिर की अच्छाई ये है कि यहां लोग शनि को ऑयल चढ़ाने के बाद उन्हें गले लगाते हैं.

स्थानीय कथाओं के अनुसार, रावण ने शनिदेव को भी कैद कर रखा था. जब हनुमान जी माता सीता की खोज में लंका पहुंचे, तब उन्होंने वहां पर शनिदेव को रावण की कैद में देखा.भगवान हनुमान को देख शनिदेव ने उनसे यहां से आजाद करने की गुजारिश की. शनिदेव के कहने पर भगवान हनुमान नो उन्हें लंका से कहीं दूर फेंक दिया, ताकि शनिदेव किसी सुरक्षित स्थान पर जा सकें. हनुमान जी द्वारा लंका से फेंके जाने पर शनिदेव इस क्षेत्र में आकर प्रतिष्ठित हो गए  तब से यह क्षेत्र शनिक्षेत्र के नाम से विख्यात हो गया.

    1. जब शनिदेव यहां आ कर गिरे तो उल्कापात सा हुआ. शिला के रूप में वहां शनिदेव के प्रतिष्ठित होने से एक बड़ा गड्ढा बन गया, जैसा कि उल्का गिरने से होता है. ये गड्ढा आज भी उपस्थित है.

    2. यहां शनि देव को ऑयल चढ़ाने के बाद उनसे गले मिलने की परंपरा प्रचलित है. जो भी यहां आता है वह शनिदेव को ऑयल चढ़ाने के बाद बड़े प्यार से शनि महाराज से गले मिलता है  अपनी तकलीफें उन से बांटता है. बोला जाता है कि ऐसा करने से शनिदेव उस आदमी की सारी तकलीफें दूर कर देते हैं.