रात होते ही किसानों ने शुरु किया ये , पूरी दिल्ली में मचा बवाल , हो रहा…

तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने और उनकी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनी गारंटी देने की मांग को लेकर हजारों किसान, जिनमें ज्यादातर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हैं, 28 नवंबर से दिल्ली के कई सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं.

इस बीच, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सोमवार को कहा कि नए कृषि कानूनों को एक से डेढ़ साल तक निलंबित रखने का सरकार का प्रस्ताव एक ‘सर्वश्रेष्ठ पेशकश’ है और उन्हें उम्मीद है कि प्रदर्शनकरी किसान संगठन इस पर पुनर्विचार करेंगे तथा अपने फैसले से अवगत कराएंगे.

उन्होंने कहा, ‘हम एक फरवरी को बजट के दिन विभिन्न स्थानों से संसद की तरफ पैदल मार्च करेंगे. जहां तक कल (मंगलवार) की ट्रैक्टर रैली की बात है तो इससे सरकार को हमारी शक्ति के बारे में एक एहसास होगा और उसे पता चलेगा कि आंदोलन केवल हरियाणा या पंजाब तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे देश का आंदोलन है.’

उन्होंने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘ट्रैक्टर परेड के लिए आए किसान अब वापस नहीं जाएंगे तथा प्रदर्शन से जुड़ेंगे. हमारी मांगें पूरी होने तक आंदोलन जारी रहेगा.’

कृषि कानूनों (New Farm Laws) के खिलाफ आज किसानों द्वारा निकाली जा रही ट्रैक्‍टर परेड (Kisan Tractor Parade) के दौरान दिल्‍ली और बॉर्डर इलाकों पर किसानों के उग्र हो गए.

किसान बैरिकेडस तोड़ दिल्‍ली की सीमाओं में अंदर तक घुस गए, जिससे सुरक्षाबलों और किसानों के बीच दिनभर टकराव की स्थिति बनी रही. आईटीओ, लाल किला, नांगलोई, सिंघु, टिकरी बॉर्डर एवं अन्‍य जगहों पर किसानों और पुलिस-सुरक्षाबलों के बीच संघर्ष देखने को मिला. कई जगह लाठीचार्ज किया गया और आंसू गैस के गोले दागे गए. फ‍िलहाल काफी जगहों पर अभी भी किसान डटे हुए हैं और प्रदर्शन जारी है.

खबर लिखे जाने तक लाल किले और उसके आसपास के इलाके को अभी पूरी तरह से खाली नहीं कराया जा सका है. बताया जा रहा है कि परिसर के अंदर और बाहर भी लोग मौजूद हैं.

सुरक्षा में तैनात पुलिस और अन्‍य बल के जवान अभी भी इन्‍हें यहां से हटाने के लिए मशक्‍कत कर रही है.पिछले दो महीने से आंदोलन कर रहे किसान गणतंत्र दिवस पर भारी सुरक्षा के बीच हजारों ट्रैक्टरों के साथ सिंघु, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रवेश कर रहे हैं.

इससे पहले प्रदर्शकारी किसान संगठनों ने सोमवार को घोषणा की कि वे एक फरवरी को केंद्रीय वार्षिक बजट के दिन विभिन्न स्थानों से संसद की तरफ कूच करेंगे.

क्रांतिकारी किसान यूनियन के नेता दर्शन पाल ने कहा कि प्रदर्शनकारी किसान तीनों नए कृषि कानूनों को रद्द करने की अपनी मांग पर अडिग हैं और मांगें पूरी होने तक उनका आंदोलन जारी रहेगा.