राजीव गांधी के हत्यारे जेल से बाहर , सुप्रीम कोर्ट से लगाई थी ये गुहार

शीर्ष अदालत ने मई 1999 में इस हत्याकांड में पेरारिवलन, मुरूगन, संतन और नलिनी की मौत की सजा बरकरार रखी थी. हालांकि, अप्रैल, 2000 में तमिलनाडु सरकार की सिफारिश पर राज्यपाल ने नलिनी की मौत की सजा को उम्र कैद में तब्दील कर दिया था.

शीर्ष अदालत ने दया याचिका पर फैसले में 11 साल के विलंब के आधार पर 18 फरवरी, 2014 को दो अन्य दोषियों-संतन और मुरूगन के साथ पेरारिवलन की मौत की सजा उम्र कैद में तब्दील कर दी थी.

इससे पहले पेरारीवलन को अपने बीमार पिता से मिलने लिए अगस्त 2017 में पैरोल दिया गया था. पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 21 मई, 1991 की रात में तमिलनाडु के श्रीपेरम्बदूर में एक चुनावी सभा के दौरान एक महिला आत्मघाती हमलावर ने हत्या कर दी थी.

इस घटना में आत्मघाती महिला धनु सहित 14 अन्य व्यक्ति मारे गये थे और यह संभवत: पहला आत्मघाती विस्फोट था जिसमें किसी बड़े नेता की जान गयी थी.

पेरारीवलन तमिलनाडु (Tamil Nadu) में चेन्नई के पास पुझल केंद्रीय कारागार में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है और उसने अपने 76 वर्षीय पिता ज्ञानसेकरन के चिकित्सा उपचार के लिए पैरोल मांगी थी.

उसे 11 दिसंबर तक घर में रहने और अपनी भतीजी की शादी व रिसेप्शन समारोह में शामिल होने की अनुमति है, लेकिन उसकी मीडिया और किसी भी गैरकानूनी गतिविधि पर रोक है.

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या (Rajiv Gandhi Assassination) के मामले में दोषी एजी पेरारीवलन (AG Perarivalan) को सोमवार को मेडिकल जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से एक हफ्ते की पैरोल और मिल गई है. शीर्ष अदालत ने उनकी पैरौल को एक सप्ताह के लिए बढ़ा दिया है.

पेरारिवलन 12 नवंबर को अपने बीमार पिता से मिलने और अपनी भतीजी के विवाह समारोह में भाग लेने के लिए एक महीने की पैरोल पर तमिलनाडु की जेल से बाहर है.