योग करने के दौरान गलत आसन और पोज आपके लिये बढ़ा सकते है मुसीबत, जानिये कैसे

योग करने के दौरान गलत आसन और पोज में बैठने या उठने,बेकारजीवनशैलीऔरअनियमित खानपान से रीढ़ की हड्डी में खिंचाव पैदा होता है.इन आदतों के लंबे समय तक बने रहने से रीढ़ से जुड़ी मांसपेशियों में कमजोरीऔरतनाव आता है.जिससे पीठ और गर्दनदर्द होता है.मेडिकली यह स्लिप्ड डिसक की समस्या है जो 30 – 50 साल की आयु के लोगों में अधिक होती है.स्त्रियों में इसके मुद्दे दोगुने हैं.

प्रमुख लक्षण
धीरे-धीरे गर्दनऔरकमरदर्द बढऩा, हाथ-पैरों में कमजोरी, सुन्नऔरझनझनाहट महसूस होना, यूरिनऔरस्टूल को कंट्रोल न कर पाना, चलने मेंकठिनाईवकंपन होना.

क्या है समस्या
रीढ़ की हड्डी (स्पाइनल कॉर्ड) में 33 हड्डियां (वर्टिब्रल बॉडीज) होती हैं.इनके बीच में रबर के छल्ले की तरह जैली जैसी डिसक होती हैं.ये रीढ़ की हड्डी के मूवमेंट में मददगार हैं.चोट या रोग के कारण डिसक के अपनीस्थानसे खिसकने पर रीढ़ की हड्डीऔरइससे निकलने वाली नसों पर दबाव पड़ता है.गंभीर अवस्था में रोगी को हाथ-पैरों में कमजोरीऔरयूरिन-स्टूल को नियंत्रित करने की क्षमता कम हो जाती है.

इलाज
न्यूरो, ऑर्थोपेडिकऔरफिजियोथैरेपिस्ट सेइलाजलें.दर्द वालीस्थानको आराम देने के साथ गर्म-ठंडा सेक, दवाएं, लोशन, स्प्रेआवश्यकताके अनुसार लगाने को देते हैं.रीढ़ में किसस्थानक्याऔरकितनीकठिनाईहै, इसको जानने के लिए एक्सरे, एमआरआईवसीटीस्कैनजाँचकराते हैं.कमर में असहनीय दर्द के के लिए ऑपरेशन कराने को लेकर लोगों में धारणा है कि इससे लकवा हो जाता है, जो गलत है.सर्जरी से क्रॉनिक पेन में 80-90फीसदीतक आराम मिल जाता है.फिजियोथैरेपी से नसों पर दबाव देकर दर्द कम करते हैं.

ये रखें ख्याल
– हल्के व्यायामऔरजॉगिंग करें, साइकिल चलाएं.एक्सपर्ट की राय से ही योग करें.
– विटामिनऔरकैल्शियम से भरपूर डाइट लेकर वजन नियंत्रित रखें.प्रतिदिनपर्याप्त मात्रा में पानी पीएंऔरमधुमेह कंट्रोल रखें.
– भारी वजन उठाते समय सावधानी बरतें.लंबी सिटिंग काकार्यहै तो सीधे बैठें.
– फोन काइस्तेमालकरते समय गर्दन न झुकाएं.बैग को कंधे पर टांगने के बजाय पीठ पर लगाएं.
– किसी भी तरह के नशे (धूम्रपान, शराब आदि) से दूरी बनाएं.