योगी सरकार ने किराएदार को लेकर दी ये मंजूरी, अब ऐसे बढेगा किराया

इस अध्यादेश में ऐसी व्यवस्था है कि मकान मालिक मनमाने तरीके से किराया नहीं बढ़ा सकेगा। आवासीय पर पांच फीसदी और गैर आवासीय पर सात फीसदी सालाना किराया बढ़ाया जा सकेगा। किराएदार को भी किराये वाले स्थल की देखभाल करनी होगी। दो महीने तक किराया नहीं देने पर मकान मालिक किराएदार को हटा सकेगा।

किराएदार घर में बिना पूछे तोड़फोड़ भी नहीं कर पाएगा। पहले से रखे गए किराएदारों के मामले में यदि लिखित नहीं है तो अनुबंध पत्र लिखित कराने के लिए तीन माह का मौका दिया जाएगा।  किराएदारी अनुबंध पत्र की मूलप्रति का एक सेट दोनों के पास रहेगा। अनुबंध पत्र की शर्तों के अनुसार समय पर किराया देना होगा।

वर्तमान में लागू उ.प्र शहरी भवन (किराये पर देने, किराया तथा बेदखली विनियमन) अधिनियम-1972 लागू है। इस अधिनियम के लागू होने के बाद से भवन स्वामी और किरायेदारों के बीच के विवाद बढ़ गए हैं। बड़ी संख्या में अदालतों में मुकदमे चल रहे हैं।

भवन स्वामियों को उनकी संपत्ति का उचित किराया नहीं मिल रहा है। उच्चतम न्यायालय के निर्देश और भारत सरकार द्वारा तैयार किए गए माडल टेनेंसी एक्ट के आधार पर नगरीय परिसरों की किरायेदारी विनियमन अध्यादेश 2021 तैयार किया गया है।

इस अध्यादेश के मुताबिक कोई भी मकान मालिक बगैर अनुबंध किसी को किराये पर अपना मकान नहीं दे सकेगा। साथ ही किराए में मनमानी बढ़ोतरी भी नहीं कर सकेगा।

इस अध्यादेश से किरायेदारी के विवाद कम होंगे तथा पुराने प्रकरणों में किराया पुनरीक्षण किया जा सकेगा। अध्यादेश लागू होने के बाद सभी किरायेदारी अनुबंध के आधार पर होगी।

मकान मालिक और किरायेदारों के विवाद को कम करने के लिए बनाए गए उ.प्र. नगरीय किरायेदारी विनियमन अध्यादेश-2021 को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। इस अध्यादेश में किरायेदारी अनुबंध के आधार पर करने का प्राविधान है।

किसी भी विवाद के निपटारे के लिए रेंट अथारिटी एवं रेंट ट्रिब्यूनल का प्राविधान किया गया है। ट्रिब्यूनल में अधिकतम 60 दिनों के अंदर वादों का निस्तारण होगा।