योगी सरकार का फ़ैसला, इन जातियों को अनुसूचित जाति में किया जाये शामिल देखें लिस्ट

राज्य के समाज कल्याण विभाग द्वारा जारी किए गए आदेश में कहा गया है कि यह फैसला अदालत के अंतिम आदेश के अधीन होगा.अगर अदालत का अंतिम फैसला इन जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल नहीं करने का आता है, तो फिर से इन्हें अनुसूचित जाति के दायरे से बाहर कर दिया जाएगा.

आदित्यनाथ सरकार का यह फ़ैसला अदालत के अंतिम आदेश के अधीन होगा. अगर अदालत इन जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने की अनुमति नहीं देगी, तब इन्हें इस दायरे से बाहर कर दिया जाएगा.

जिन 17 जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने की बात कही गई है, उनमें कहार, कश्यप, केवट, मल्लाह, निषाद, कुम्हार, प्रजापति, धीवर, बिंद, भर, राजभर, धीमर, बाथम, तुरहा, गोडिया, मांझी व मछुआ शामिल हैं.

मालूम हो कि यह पहला मौका नहीं है कि जब राज्य में पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने की कवायद की गई है. इससे पहले जब अखिलेश यादव मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने भी इन जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने का आदेश जारी कराया था.

यह मामला अदालत पहुंचा था और कोर्ट ने सरकार के इस फैसले पर रोक लगा दी थी. हालांकि उसके बाद हुई पीआईएल में सरकार की उन रिपोर्ट्स को ही आधार बनाया गया था, जिसके तहत अनुसूचित जाति में इन जातियों को शामिल करने को कहा गया था.

इन जातियों की मानव विज्ञान रिपोर्ट्स और जातियों की सामाजिक संरचना के आधार पर अदालत ने तब लगाई गई रोक हटा दी है और मामले की सुनवाई जारी रखी है.

अदालत की रोक हटने के बाद इन जातियों को अदालत के अंतिम फैसले के अधीन अनुसूचित जाति प्रमाणपत्र जारी करने के आदेश जारी किए गए हैं. इस आदेश की प्रति को सारे कमिश्नरों व जिलाधिकारियों को भेज दिया गया है.

उनसे कहा गया है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका के अंतरिम आदेश का पालन सुनिश्चित किया जाए. इन जातियों को परीक्षण और सही दस्तावेजों के आधार पर एससी का जाति प्रमाण पत्र जारी किया जाए. यह प्रमाणपत्र कोर्ट के अंतिम आदेश के अधीन होगा.