विजयनगरम जिले में बसे इन गांवों के लोगों ने आपात स्थिति में गर्भवती स्त्रियों को सेहत केंद्र तक पहुंचाने का रास्ता भी निकाला जिसे डोली बोला जाता है, लेकिन वह भी अच्छा सिद्ध नहीं हुआ. यह एक तरह का अस्थिर स्ट्रेचर है. लेकिन 20 किमी की दूरी पर स्थित सेहत केंद्र तक डोली से पहुंचाने के कारण कई स्त्रियों को नुकसान झेलना पड़ा है.
यहां रहने वाली आदिवासी महिला जिन्दामी का 29 जून को ही मिसकेरेज हुआ है. वह समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाई थी. अधिक ब्लीडिंग के कारण उसकी जान भी कठिन से बच पाई है. लेकिन इस घटना ने नेशनल ह्यूमन राइट कमिशन (एनएचआरसी) का ध्यान खींचा. उन्होंने यहां की भौगोलिक संरचना को जानने के लिए अधिकारियों को भेजा. बहुत ज्यादाविचार करने के बाद राज्य गवर्नमेंट ने आपता की समस्याओं के लिए एक नया उपाय निकाला है.
जिसके तहत खास तरह की फीडर एंबुलेंस चलाई जाती हैं, जिसके साथ में एक अन्य गाड़ी भी जुड़ी होती है. इंटीग्रेटेड ट्राइबल डेवेलपमेंट एजेंसी (आईटीडीए) से जुड़े ऑफिसर ने बताया कि उन्होंने दूरस्थ क्षेत्रों में 24 फीडर एंबुलेंस को भेजा है. प्रत्येक एंबुलेंस 4-5 दूरस्थ गांवों को कवर करती है. यह सेवा अप्रैल 2018 से प्रारम्भ हुई है. हर एंबुलेंस में एक 6.5 फीट का बॉक्स जुड़ा होता है, जिसमें स्लीपर की सुविधा है.