यह व्रत पुत्रवती महिलाएं संतान की लंबी आयु की कामना कर रखती…

आज 21 अगस्त बुधवार को महिलाएं संतान की लंबी आयु के लिए हरछठ (हलषष्ठी व्रत 2019) का व्रत रखेंगी यह त्यौहार भादों कृष्ण पक्ष की छठ को मनाया जाता है इसी दिन श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्म हुआ था यह व्रत केवल पुत्रवती महिलाएं करती हैं इस व्रत में पेड़ों के फल बिना बोया अन्नआदि खाने का विधान है केवल पड़िया (भैंस का बच्चा) वाली भैंस का दूध ही लिया जा सकता है


यह पूजन सभी पुत्रवती महिलाएं करती हैं यह व्रत पुत्रों की दीर्घ आयु  उनकी सम्पन्नता के लिए किया जाता है इस व्रत में महिलाएं प्रति पुत्र के हिसाब से छह छोटे मिट्टी या चीनी के वर्तनों में पांच या सात भुने हुए अन्न या मेवा भरतीं हैं जारी (छोटी कांटेदार झाड़ी) की एक शाखा ,पलाश की एक शाखा  नारी (एक प्रकार की लता ) की एक शाखा को धरती या किसी मिटटी भरे गमले में गाड़ कर पूजन किया जाता है महिलाएं पड़िया वाली भैंस के दूध से बने दही  महुवा (सूखे फूल) को पलाश के पत्ते पर खा कर व्रत का समाप्ति करतीं हैं संतान की लंबी आयु की कामना का व्रत हलषष्ठी में आस्था का संचार होगा माताएं व्रत पूजन के साथ ही अपनी संतान की दीर्घायु की कामना करेंगी इस दौरान सख्त व्रत नियम के पालन के साथ ही माताएं अपनी संतान की मंगल कामना के लिए पूजन करेंगी

 हलषष्ठी व्रत व्रत में ऐसे करें पूजा:
भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम का अस्त्र हल होने की वजह से महिलाएं हल का पूजन करती है
महिलाएं तालाब बनाकर उसके चारो ओर छरबेड़ी, पलास  कांसी लगाकर पूजन करती है
लाई, महुआ, चना, गेहूं चुकिया में रखकर प्रसाद के रूप में अर्पित किया जाता है हरछठ में बिना हल लगे अनाज  भैंस के दूध का उपयोग किया जाता है इसके सेवन से ही व्रत का पारण किया जाता है

भाद्र मास के कृष्ण पक्ष षष्ठी को हरछठ व्रत मनाया जाता है . इस व्रत को हलषष्ठी, हलछठ , हरछठ व्रत, चंदन छठ, तिनछठी, तिन्नी छठ, ललही छठ, कमर छठ, या खमर छठ भी बोला जाता है

इस दिन हलषष्ठी माता की पूजा की जाती है यह व्रत बलराम जी के जन्म के उपलक्ष्य में भी मनाया जाता है इस व्रत में हल से जुते हुए अन्न और सब्जियों का सेवन नहीं किया जाता है इस व्रत में गौ माता का दूध और दही प्रयोग में नहीं लाया जाता है इस दिन महिलाएं भैंस का दूध ,घी और दही प्रयोग करती हैं इस व्रत में महुआ के दातुन से दाँत साफ किया जाता है शाम के समय पूजा के लिये मालिन हरछ्ट बनाकर लाती है हरछठ में झरबेरी, कास (कुश)  पलास तीनों की एक-एक डालियां एक साथ बंधी होती हैं जमीन को लीपकर वहां पर चौक बनाया जाता है उसके बाद हरछ्ठ को वहीं पर लगा देते हैं . सबसे पहले कच्चे जनेउ का सूत हरछठ को पहनाते हैं

 हलषष्ठी व्रत का महत्व:
1.इस दिन हल जुता हुआ अनाज तथा फल खाने का विशेष माहात्म्य है
2.इस दिन महुए की दातुन करना चाहिए
3.यह व्रत पुत्रवती महिलाओं को विशेष तौर पर करना चाहिए
4. हरछठ के दिन दिनभर निर्जला व्रत रखने के बाद शाम को पसही के चावल या महुए का लाटा बनाकर 5. पारण करने की मान्यता है