पीएम नरेंद्र मोदी पर फैसला लेने को केंद्रीकृत करने का आरोप लगाते हुए सिन्हा ने एक अखबार की रिपोर्ट का जिक्र किया. जिसमें यह दावा किया गया था कि मीटिंग इसलिए रद्द हुई क्योंकि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अपने पाकिस्तानी समकक्ष शाह महमूद कुरैशी से वार्ता करने से पहले पीएमओ को विश्वास में नहीं लिया. उन्होंने कहा, ‘इससे पता चलता है कि स्वराज की आवाज को सुना नहीं गया. यही वजह है कि उन्हें कई बार ट्विटर मंत्री बोला जाता है.‘
सिन्हा ने आरोप लगाया कि कुछ वरिष्ठ मंत्री जो केंद्रीय मंत्रिमंडल की सुरक्षा संबंधी समिति (सीसीएस) का भाग थे उन्हें जरूरी फैसला लेते समय अंधेरे में रखा गया. उन्होंने कहा, ‘गृहमंत्री को यह नहीं पता कि बीजेपी कब पीडीपी से समर्थन वापस ले रही है व वहां गवर्नर शासन लागू कर रही है. इसी तरह वित्त मंत्री को नोटबंदी के बारे में कुछ नहीं पता था. वर्ष 2016 में पीएम नरेंद्र मोदी ने इसकी घोषणा की थी.‘
यशवंत सिन्हा ने दावा करते हुए बोला कि मुझे लगता है कि वित्तमंत्री को इसके बारे में कैबिनेट समिति में ही पता चला होगा. इसी तरह तत्कालीन रक्षा मंत्री को यह नहीं पता था कि राफेल डील कब होने वाली है व क्या यह पहले हो चुकी है. पूर्व बीजेपी नेता ने बोला कि उन्होंने चारों मंत्रियों को कुछ नहीं बताया जोकि सीसीएस के जरूरी भाग थे. यदि इन मंत्रियों की आवाज नहीं सुनी जाएगी तो समिति में कौन रह जाता है.
पूर्व वित्तमंत्री ने बोला कि अब केवल पीएम फैसला लेते हैं. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा, ‘सभी जरूरी निर्णय पीएमओ द्वारा लिए जाते हैं व दूसरों को आदेश का पालन करना पड़ता है.कैबिनेट के कार्य करने का उपाय जो संविधान में परिभाषित है वह अब समाप्त हो चुका है.‘