लोकसभा चुनाव 2019: मोहनलालगंज लोकसभा सीट का इतिहास

उत्तरप्रदेश की मोहनलालगंज लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद भाजपा के कौशल किशोर हैं।साल 2014 के लोकसभा चुनाव में कौशल किशोर ने बसपा के आर के चौधरी को 145416 वोटों से हराया था। साल 2014 में इस सीट पर दूसरे नंबर पर बसपा, तीसरे पर सपा, चौथे पर कांग्रेस और पांचवें पर आप थी। मोहनलालगंज यूपी की राजधानी लखनऊ और उन्नाव दोनों ही शहर से सटा हुआ है लेकिन विकास के लिए आज भी तरस रहा है।

मोहनलालगंज की जनसंख्या 26,95,769 है। इस संसदीय सीट का 75.19% ग्रामीण और 24.81% शहरी क्षेत्र है। ग्रामीण इलाका होने के बावजूद यहां का लिंगानुपात बड़े शहरों से भी अच्छा है, यहां प्रति 1000 पुरुषों पर 906 महिलाएं हैं और यहां की औसत साक्षरता दर भी 80% है। मोहनलालगंज के लोकसभा संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत 5 विधान सभा क्षेत्र आते हैं, जिनके नाम हैं सिधौली, मलीहाबाद, बक्षी का तालाब, सरजोनी नगर और मोहनलालगंज।

मोहनलालगंज में पहला लोकसभा चुनाव साल 1962 में हुआ था, जिसे कि कांग्रेस की गंगा देवी ने जीता था, वो 3 बार लगातार इस सीट से जीतीं थी। 1977 में उन्हें भारतीय लोक दल के राम लाल कुरील से करारी हार मिली थी। साल 1980 में राम लाल कुरील कांग्रेस के कैलाश पति से हार गए थे और कैलाश पति मोहनलालगंज के तीसरे सांसद बने थे। इसके बाद फिर से कांग्रेस ने ही यहां अपनी जीत का डंका बजाया ,कांग्रेस नेता जगन्नाथ प्रसाद यहां के सांसद की कुर्सी पर बैठे थे, ये कांग्रेस की यहां आखिरी जीत थी, उसके बाद से यहां लगातार कांग्रेस जीत के लिए तरस रही है। 1989 में जनता दल के सरजू प्रसाद ने यहां की कमान संभाली, 1991 में भारतीय जनता पार्टी के छोटे लाल ने जीत कर यहां का प्रतिनिधित्व किया, उसके बाद 1996 में भी यहां बीजेपी जीती, इसके बार लगातार 4 बार समाजवादी पार्टी ने यहां अपनी दावेदारी सिद्ध की लेकिन 2014 में भाजपा ने यहां पर कब्जा किया और कौशल किशोर एमपी बने।

कौशल किशोर का लोकसभा में प्रदर्शन

कोशल किशोर की पिछले पांच सालों के दौरान लोकसभा में उपस्थिति 90 प्रतिशत थी और इस दौरान उन्होंने 37 डिबेट में हिस्सा लिया और 198 प्रश्न पूछे हैं। साल 2014 के चुनाव में यहां 18,38,194 लोगों का नाम मतदाता सूची में था, जिसमें से 11 लाख 16 हजार लोगों ने अपने मत का प्रयोग किया। इसमें 6 लाख 38 हजार पुरुष और 4 लाख 77 हजार महिलाएं शामिल थीं। यानी कुल 61 प्रतिशत वोट पड़े।

सियासी खेल में कोई भी चीज स्थायी नही रहती है, शह और मात का खेल चलता ही रहता है इसलिए इस बार इस सीट पर भाजपा की जीत काफी हद तक इस बात पर भी निर्भर करेगी कि यहां कौशल किशोर ने कितना विकास कार्य किया है, यहां की जीत और हार में सीएम योगी फैक्टर भी शामिल होगा क्योंकि इस वक्त राज्य में भाजपा की ही सरकार है। जहां बीजेपी की पुरजोर कोशिश इस सीट को वापस जीतने की होगी वहीं दूसरी ओर विरोधी दल यहां जीतने के लिए हर संभव कोशिश करेंगे लेकिन इस खेल में बाजी उसी के हाथ लगेगी जिसे जनता का प्यार और साथ मिलेगा और वो किसके साथ है, ये तो चुनाव परिणाम बताएगा।