देश में गुड्स एंड सर्विस कर (GST) को लागू हुए आज 2 वर्ष हो गए हैं। इस मौके पर सरकार ने जीएसटी में कई परिवर्तन किए हैं।
GST नेटवर्क (जीएसटीएन) ने एक ऐसी प्रणाली विकसित की है जिसमें माल एवं सेवा कर (जीएसटी) का भुगतान नहीं करने, रिटर्न दाखिल करने में किसी खामी या कंपनियों द्वारा आईटीसी दावे में अंतर होने की स्थिति में प्रवर्तकों, निदेशकों
व मालिकों को ऑटो एसएमएस भेजा जा रहा है
। इसके साथ ही
व कई
परिवर्तन भी किए जा रहे हैं
।
इन चीजों को लेकर किए जाएंगे सुधार
जीएसटी में 1 जुलाई 2019 से जो नए परिवर्तन होने जा रहे हैं, उनमें नया रिटर्न सिस्टम, नकद खाता बही प्रणाली को तर्कसंगत बनाने, नया रिटर्न फॉर्म सिस्टम शामिल है।
नकद खाते को तर्कसंगत बनाते हुए 20 मदों को पांच प्रमुख खातों में शामिल किया जाएगा। टैक्स, ब्याज, जुर्माना शुल्क व अन्य चीजों के लिए सिर्फ एक नकद बहीखाता होगा।
राज्यों की ख़्वाहिश के अनुसार सामान सप्लायर्स के लिए 40 लाख रुपये की लिमिट की पेशकश की गई है। वहीं, 50 लाख रुपये तक के सालाना टर्नओवर वाले छोटे सर्विस प्रोवाइडरों के लिए कंपोजिशन स्कीम को पेश किया गया है।
उन्हें 6
प्रतिशत की दर से
कर देना होगा
। इसके
अतिरिक्त बिजनेस टू बिजनेस लेनदेन के लिए चरणबद्ध
ढंग से इलेक्ट्रॉनिक इनवॉइस सिस्टम पेश करने का प्रस्ताव है
। सभी राज्यों की राजधानी में
GST अपीलीय न्यायाधिकरण स्थापित किए जा रहे हैं
।
GST को दो वर्ष में बढ़ा जीएसटी कर कलेक्शन
जीएसटी में तमाम वस्तुओं-सेवाओं पर कर रेट में कटौती के बावजूद कर कलेक्शन बढ़ता गया है। अगस्त 2017 के 93,590 करोड़ रुपये के राजस्व के मुकाबले मई 2019 में राजस्व बढ़कर 1,00,29 करोड़ रुपये रहा है। राज्यों की सीमाओं में अबाध ढंग से ट्रकों की आवाजाही की वजह से ट्रांसपोर्ट में तेजी आई है व इसकी वजह से लॉजिस्टिक यानी माल की ढुलाई की लागत में करीब 15 प्रतिशत की कमी आई है। इसके अतिरिक्त विभिन्न मद में सिंगल कर रेट होने से कर देना सरल हुआ है।
अभी सामने हैं ये चुनौतियां
GST बहुत ज्यादा पास रहा है, लेकिन इसमें अब भी कई चुनौतियां बनी हुई हैं। बिजली, तेल, गैस, शराब अब भी GST से बाहर हैं, इन्हें GST में किस तरह से लाया जाए यह एक चुनौती है। निर्यातकों को रिफंड लेने के लिए बहुत ज्यादा जूझना पड़ता है। रिटर्न फाइल करने की प्रक्रिया अब तक बहुत ज्यादा जटिल बनी हुई थी, जिसके अब कुछ सरल होने की उम्मीद है।सर्विस प्रोवाइडर्स को कई स्थान रजिस्ट्रेशन करना पड़ता है। टकराव से निपटने में कठिन यह है कि अधिकार क्षेत्र केन्द्र व राज्यों में बंटा हुआ है।
एक देश, एक रजिस्ट्रेशन की मांग
दोनों संगठनों ने ‘एक देश, एक पंजीकरण’ की मांग की है। उनका बोलना है कि यदि कोई कंपनी एक से अधिक प्रदेश में कारोबार कर रही है तो अभी उसे GST के तहत हर प्रदेश में भिन्न-भिन्न पंजीकरण कराना होता है। इस विसंगति को दूर कर एक ही पंजीकरण पर सारे देश में कारोबार करने की अनुमति दी जानी चाहिए। सीआईआई ने इसके अतिरिक्त एक कंपनी के मुख्यालय में बैठे कर्मचारी द्वारा दूसरे प्रदेश की शाखा के लिए किए कार्य व इस मद में जारी राशि को लेकर भी स्पष्टता लाने की मांग की है। उसने रिटर्न भरने, इनवॉयस के मिलान तथा लागत कर क्रेडिट के नियम भी सरल करने की मांग की है।