मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की कंपनियों के मार्जिन पर असर

जीडीपी ग्रोथ में झटके के बाद केन्द्र सरकार को समाचार परेशान कर सकती है. अगस्त माह में डिमांड  आउटपुट कम होने की वजह से मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का ग्रोथ बीते 15 माह के न्यूनतम स्तर पर फिसल चुका है.

 

न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने एक प्राइवेट सेक्टर सर्वे का हवाला देते हुए सोमवार को अपने एक रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी है.

जीडीपी दर घटकर 5 प्रतिशत हो चुकी है

चालू वित्त साल की पहली तिमाही के लिए में हिंदुस्तान की आर्थिक जीडीपी दर घटकर 5 प्रतिशतकी स्तर आ गई है. इसके पहले कई अर्थशास्त्रियों ने अुनमान लगाया था कि इस तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 5.7 प्रतिशत के करीब रह सकती है. आईएचएस मार्किट के निक्केई मैन्युफैक्चरिंग पर्चेजिंग मैनेजर इंडेक्स जुलाई माह के 52.5 के तुलना में घटकर 51.4 के स्तर पर आ गया है. मई 2018 के बाद यह सबसे न्यूनतम स्तर पर है.

मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की कंपनियों के मार्जिन पर असर

आईएचएस मार्किट के मुताबिक, अगस्त माह में मुद्रास्फिति के दबाव  अर्थव्यवस्था की सुस्ती देखने को मिली. बीते 9 माह के दौरान इनपुट कॉस्ट में लगातार तेजी देखने को मिली. वहीं, जुलाई की तुलना में अगस्त माह के दौरान आउटपुट प्राइस कम रहा है. इस वजह से कंपनियों के मार्जिन पर भी प्रभाव पड़ा है.

अक्टूबर एक बार  हो सकती है नीतिगत ब्याज दरों में कटौती

मुद्रास्फिति का अनुमान आरबीआई के मुताबिक चालू वित्त साल में 4 प्रतिशत से नीचे ही रहेगा.ऐसे में अक्टूबर माह में होने वाली भारतीय रिजर्व बैंक मौद्रिक समीक्षा नीति की मीटिंग में एक बार फिर नीतिगत ब्याज दरों में कटौती का दौर देखने को मिल सकता है.