राजस्थान कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष व उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने शनिवार को ही असिंद में बड़ी जनसभा की। वहीं, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन लाल सैनी ने छोटी सी प्रेस कांफ्रेंस कर औपचारिकता निभा दी। पायलट की रैली के लिए गुर्जरों के धर्मस्थल सवाई भोज का चुनाव किया गया, ताकि उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज गुर्जरों के एक धड़े को मनाया जा सके।
भीलवाड़ा लोकसभा क्षेत्र में 3.5 लाख ब्राह्मण हैं, जबकि 2.5 लाख गुर्जर हैं। इसके अतिरिक्त 2 लाख जाट व करीब 6 लाख एससी-एसटी मतदाता हैं। राजस्थान कांग्रेस पार्टी के दो धड़ों में बंटने की अटकलों को खारिज करने की प्रयास के तहत अशोक गहलोत व सचिन पायलट ने प्रदेश में कई रैलियां कीं। भीलवाड़ा सीट से 2009 में कांग्रेस पार्टी के सीपी जोशी ने जीत हासिल की थी। इस बार कांग्रेस पार्टी ने रामपाल शर्मा को मैदान में उतारा है। कांग्रेस पार्टी की प्रयास है कि भाजपा से नाराज चल रहे ब्राह्मणों को अपनी ओर खींचा जा सके।
भीलवाड़ा सीट पर दो से ज्यादा बार नहीं जीता कोई भी प्रत्याशी
भीलवाड़ा से कभी कोई प्रत्याशी दो से ज्यादा बार नहीं जीत सका है। भाजपा प्रत्याशी सुभाष बहेरिया इस तिलिस्म को तोड़ने के लिए तीसरी बार इस सीट से मैदान में हैं। कागजों पर ही सही, लेकिन बहेरिया के तीसरी बार मैदान में होने व भाजपा के ज्यादा ध्यान नहीं देने जैसे कारणों के चलते कांग्रेस को इस सीट पर जीत की पूरी उम्मीद है। वहीं, भाजपा भीलवाड़ा समेत सारे प्रदेश में मोदी लहर के भरोसे चुनाव लड़़ रही है। सैनी ने शनिवार को प्रेस कांफ्रेंस के दौरान स्वच्छ हिंदुस्तान से लेकर मिशन शक्ति तक नरेन्द्र मोदी सरकार की उपलब्धियां गिनवाईं।
भीलवाड़ा शहर से जब्त हो गई थी कांग्रेस पार्टी प्रत्याशी की जमानत
बहेरिया को भाजपा व संघ दोनों का समर्थन हासिल है। राजस्थान विधानसभा चुनाव में भीलवाड़ा की आठ सीटों में कांग्रेस पार्टी को सिर्फ तीन पर ही जीत मिली थी। भीलवाड़ा शहर विधानसभा सीट पर कांग्रेस पार्टी प्रत्याशी अशोक चांदना की जमानत जब्त हो गई थी। लोकसभा चुनाव 2014 में बहेरिया को भीलवाड़ा के 60 प्रतिशत मत हासिल हुए थे। पीएम नरेंद्र मोदी के नाम पर जीत के भरोसे ही भाजपा ने बहेरिया को फिर इस सीट से प्रत्याशी बनाया है।
भीलवाड़ा क्षेत्र के मतदाताओं के रुख पर प्रभाव डालने वाले मुद्दे
भीलवाड़ा संसदीय क्षेत्र में पलायन बड़ा मामला है। इसके अतिरिक्त बेरोजगारी व पीने के पानी की किल्लत मतदाताओं के रुख पर प्रभाव डालने वाले मसले हैं। हालांकि, इस क्षेत्र को कपड़ा मिलों के लिए जाना जाता है, जिनमें बहुत बड़ी मात्रा में पानी का प्रयोग होता है। मोदी लहर के चलते कोई भी आम लोगों से जुड़े ये मामले उठाने को तैयार नजर नहीं आ रहा है।