मूर्तियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद, मामले पर छिड़ गया सियासी घमासान

बहुजन समाज पार्टी की सरकार के दौरान यूपी की राजधानी लखनऊ और नोएडा में दलित प्रेरणा स्थल के अंदर बनाई गई मूर्तियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद मामले पर सियासी घमासान छिड़ गया है। दरअसल, मूर्तियों के मामले में सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने मायावती के वकील से कहा कि अपने क्लाइंट को बता दीजिए की उन्हें मूर्तियों पर खर्च पैसे को सरकारी खजाने में वापस जमा कराना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद भाजपा ने मायावती पर सीधा हमला बोलते हुए कहा है कि बसपा की सरकार में जनता के पैसे का दुरुपयोग किया गया। भाजपा ने कहा कि मायावती को दलितों-गरीबों से कोई सरोकार नहीं है और अब बुआ-बबुआ को मिलकर जनता के पैसे का भुगतान करना चाहिए। वहीं, इस मामले पर मायावती ने भी ट्वीट कर अपनी पहली प्रतिक्रिया दी है।

मायावती ने किया मामले पर ट्वीट

मूर्तियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद बसपा अध्यक्ष मायावती ने ट्वीट कर कहा, ‘सदियों से तिरस्कृत दलित व पिछड़े वर्ग में जन्मे महान संतों, गुरुओं व महापुरुषों के आदर-सम्मान में निर्मित भव्य स्थल/स्मारक/पार्क आदि उत्तर प्रदेश की नई शान, पहचान व व्यस्त पर्यटन स्थल हैं, जिसके आकर्षण से सरकार को नियमित आय भी होती है। मीडिया कृप्या करके माननीय सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को तोड़-मरोड़ कर पेश ना करे। माननीय न्यायालय में अपना पक्ष जरूर पूरी मजबूती के साथ आगे भी रखा जाएगा। हमें पूरा भरोसा है कि इस मामले में भी माननीय न्यायालय से पूरा इंसाफ मिलेगा। मीडिया व बीजेपी के लोग कटी पतंग ना बनें, तो बेहतर है।’

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था

आपको बता दें कि शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि मूर्तियां बनवाने में खर्च हुए जनता के पैसे की भरपाई मायावती को करनी चाहिए। साल 2009 में सुप्रीम कोर्ट ने रविकांत और अन्य लोगों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि प्रथम दृष्टया तो लगता है कि मायावती को मूर्तियों पर खर्च किए गए धन को सरकारी खजाने में जमा कराना चाहिए। इस मामले में अगली सुनवाई 2 अप्रैल को होगी। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में मायावती द्वारा अपने शासनकाल के दौरान कई पार्कों का निर्माण करवाया गया था। इन पार्कों में डॉ. भीमराव अंबेडकर, बसपा संस्थापक कांशीराम और मायावती के अलावा हाथियों की मूर्तियां भी लगवाई गई थीं।

मामले की अगली सुनवाई 2 अप्रैल को

वहीं, शुक्रवार को इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए बहुजन समाज पार्टी के राज्यसभा सांसद सतीशचंद्र मिश्रा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने मायावती को मूर्तियों पर खर्च पैसा लौटाने संबंधी कोई आदेश नहीं दिया है। सतीश मिश्रा ने कहा कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने सुनवाई के दौरान केवल इस तरह की टिप्पणी की, ना कि कोई आदेश दिया जैसा कि मीडिया में कहा जा रहा है। उन्होंने कहा कि सुनवाई के दौरान आदेश जैसा अगर कुछ कहा गया है तो वह यह है कि मामले की अगली सुनवाई 2 अप्रैल को होगी और उसी सुनवाई के दौरान अदालत इस पर फैसला करेगी। हमारी ओर से सुप्रीम कोर्ट में इस संबंध में अपना पक्ष रखा जाएगा।