मिस्त्र के आर्कियोलॉजिकल मिशन ने खोज निकली ये 4,400 साल पुरानी चीज, हैरानी वाली ये बात आई सामने

मिस्त्र के आर्कियोलॉजिकल मिशन ने तीन मकबरों की खोज की है। इन मकबरों में से 4,400 साल पहले दो पुजारियों द्वारा साझा किया गया था। ये मकबरे खूफू, खफरे और मेनक्यूरे के तीन पिरामिडों से कुछ किलोमीटर दूर दक्षिण में स्थित है। मिस्त्र की पुरावशेष मंत्रालय (Ministry of State of Antiquities) ने मकबरा मिलने की जानकारी देते हुए कहा कि ये Behnui-Ka and Nwi से संबंधित मकबरा है जो कि गिजा में पांचवे राजवंश शासक थे।

सुप्रीम काउंसिल ऑफ एंटिक्स के महासचिव और मिस्त्र के आर्कियोलोजडिकल मिशन के निदेशक मुस्तफा वजिरी ने कहा कि पहले हमे लगा की पहले तो हम पुराने जमाने का कोई मकबरा खोजने जा रहे हैं लेकिन, इस दौरान हमें प्राचीन मिस्र के राजवंश का मकबरा मिला। उन्होंने बताया कि मिशन ने अपने काम अगस्त 2018 से शुरु किया था। लगभग 1350 मीटर खोदने के बाद हमे ये तीन मकबरे मिले। इन मकबरों में से एक लकड़ी के सरकोफेगी और दो पुजारियों की अच्छी तरह से संरक्षित कलाकृतियों से भरा हुआ था। मिस्त्र की पौराणिक कथाओं के अनुसार, बेथुई-का के पास सात उपाधियां थी, जबकि Nwi जो की मठ के पुजारी होने के साथ उनके पास पांच उपब्लधियां थी। उन्होंने न्याय और न्याय और सत्य के पांच उपाधियां दी गई थीं।

पुरात्व मंत्रालय के मंत्री ने गिजा में प्रेस कान्फ्रेंस के बाद इन मकबरों को मीडिया के सामने पेश किया गया। कुछ मीटर तक अलग किए गए मकबरे, टीलों के नीचे और पत्थर के दरवाजों के नीचे हैं। बता दें कि ये सरकोफेगी सही हालत में है क्योंकि उन्हें अच्छी तरह से पेंट किया गया था। मंत्री ने कहा कि इन मकबरों को अब मिस्र के संग्रहालयों में शर्म-अल-शेख और हर्गहाडा में प्रदर्शित किया जाएगा।

मिस्र के वैज्ञानिक ज़ाही हवास (जिन्होंने कब्रों की प्रस्तुति में भाग लिया) ने कहा कि मैं बहुत खुश हूं क्योंकि ये मकबरे 26 वें राजवंश (664-525 ईसा पूर्व) के सबसे सामने ला सकती है। जो कि फारसी आक्रमण से पहले शासन करता था।