मांगे पूरी न होने पर किसान करने जा रहे ये काम, मचा सकता बवाल…

गौरतलब है कि भारतीय किसान यूनियन एकता (उगराहां) देश का सबसे बड़ा किसान संगठन माना जाता है। पंजाब के साथ ही देश के 20 से अधिक राज्यों में यूनियन की इकाइयां संचालित की जाती हैं।

 

विदेश से भी यूनियन को काफी सहयोग किया जाता है। केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन को मजबूत आधार देने के लिए यूनियन की तरफ से पंजाब के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में जनसंपर्क अभियान शुरू किया गया था।

भाकियू एकता (उगराहां)के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरी कलां ने बताया कि अक्तूबर के दूसरे सप्ताह में यह तय हो गया था कि किसानों का यह आंदोलन लंबा खिंचने वाला है। केंद्र के रूख को देखते हुए यूनियन के नेताओं ने रणनीति के तहत पंजाब में जनसंपर्क अभियान शुरू किया गया था। अब तक आंदोलन में शामिल होने के लिए 10 लाख से अधिक जुड़ चुके हैं, अब इन्हें आंदोलन की बारीकियों की जानकारी देने का प्रशिक्षण दिया जाएगा।

इस अभियान के माध्यम से यूनियन की तरफ से इन लोगों को आंदोलन से जुड़ी बारीकियों से रूबरू कराया जाएगा। प्रशिक्षण के लिए भाकियू की तरफ से पंजाब भर में 5000 से अधिक कृषि कानूनों के माहिरों की तैनाती की गई है, जो जल्द ही टीम बनाकर प्रशिक्षण देने का काम शुरू करेंगे। यूनियन के पदाधिकारियों ने बताया कि केंद्र के अड़ियल रुख को देखते हुए आंदोलन लंबा खिंचेगा। आंदोलन कमजोर न पड़े, इसलिए जनसंपर्क अभियान जारी रहेगा।

दरअसल, कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन को मजबूत और बड़ा बनाने के लिए 100 दिन के जनसंपर्क अभियान के किसान नेताओं को अच्छे परिणाम मिलने शुरू हो गए हैं। पंजाब में सितंबर में शुरू हुए जनसंपर्क के दौरान 10 लाख से अधिक लोग आंदोलन से जुड़ चुके हैं। यह दावा भाकियू एकता (उगराहां) ने किया है।

तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन का आज 42 वां दिन है। किसानों के इस शांत आंदोलन की ‘ताकत’ भी लगातार बढ़ती जा रही है। ठंड और बारिश की परवाह किए बिना हरियाणा, पंजाब, यूपी, राजस्थान समेत अन्य राज्यों से किसानों के जत्थे रसद के साथ लगातार धरनास्थल पर पहुंच रहे हैं। ऐसे में किसानों का आंदोलन अभी और बड़ा होने की संभावना है।