मांगे न पूरी होने पर किसानो ने उठाया ये बड़ा कदम , मुश्किल में पड़ी सरकार

किसान 26 जनवरी के अपने प्रस्तावित ‘किसान परेड’ के कार्यक्रम पर अमल करने और दिल्ली कूच करने पर अड़े। संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा घोषित आंदोलन के कार्यक्रम में कोई बदलाव नहीं किया गया है।

18 जनवरी को महिला किसान दिवस मनाने, 20 जनवरी को श्री गुरु गोविंद सिंह की याद में शपथ लेने और 23 जनवरी को आजाद हिंद किसान दिवस पर देश भर में राजभवन का घेराव करने का कार्यक्रम जारी रहेगा।

आपको बता दें कि कड़ाके की सर्दी और गिरते पारे के साथ-साथ कोरोना के खतरों के बीच 26 नवंबर से बड़ी तादाद में किसान दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर डटे हैं। लेकिन किसान और सरकार के बीच अबतक इस मसले पर अबतक कोई सहमति नहीं बन पाई है।

बड़ी तादाद में प्रदर्शनकारी किसान सिंधु, टिकरी, पलवल, गाजीपुर सहित कई बॉर्डर पर डटे हुए हैं। इस आंदोलन की वजह से दिल्ली की कई सीमाएं सील हैं।

सुप्रीम कोर्ट तीनों कृषि कानूनों को चुनौती देने वाली और दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर डेरा डाले किसानों को हटाने संबंधी याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई कर सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों के बीच बने गतिरोध को तोड़ने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन कर दिया है। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले को सुलझाने के लिए 4 सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया है।

लेकिन किसानों का कहना है कि वो कमेटी के सामने हाजिर नहीं होंगे। किसानों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से कमेटी गठित करने के बाद सरकार से बातचीत का कोई मतलब नहीं रह जाता है।

 कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 52वां दिन है। हड्डियां गला देने वाली ठंड और बारिश के बीच डटे किसान किसी कीमत पर अपनी मांगें बिना मनवाए वापस जाने के मूड में नहीं हैं।

वहीं सरकार भी अपने रूख पर अड़ी है। किसान संगठनों और सरकार के बीच शुक्रवार को हुई 10वें दौर की बातचीत किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी। अब 19 जनवरी को फिर से सरकार और किसानों के बीच बातचीत होगी।