महाराष्ट्र में महिला मतदाताओं की संख्या में 13 लाख की बढ़ोतरी

राष्ट्र में आमचुनाव से पहले महिला मतदाताओं की बढ़ी संख्या अच्छी तस्वीर पेश कर रहे हैं. महाराष्ट्र  तमिलनाडु जैसे बड़े राज्यों के आंकड़ों पर नजर डाले तो पता चलता है कि इस बार के लोकसभा चुनाव में महिलाएं निर्णायक किरदार अदा कर सकती है. तमिलनाडु में तो महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों  मतदाताओं के पार चली गई है. यह आंकड़े राष्ट्र भर में लिंगानुपात में सुधार होने की तस्दीक करते हैं.

2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान केरल, अरुणाचल, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम  पुड्डुचेरी में महिला मतदाताओं की संख्या पुरुष मतदाताओं से ज्यादा है. ताजा आंकड़ों के अनुसार तमिलनाडु में मौजूद 5.91 करोड़ मतदाताओं में 2.98 करोड़ महिला  2.92 पुरुष मतदाता है. बीते पांच वर्षों में महिला मतदाताओं की संख्या में 11 प्रतिशत जबकि पुरुष मतदाताओं की संख्या में 8.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है.

महाराष्ट्र में महिला  पुरुष मतदाताओं के बीच का अंतर बहुत ज्यादा हद तक कम हो चुका है. आंकड़ों के मुताबिक 13 लाख नयी महिला मतदाताओं ने एंट्री ली है. कुल 8.73 करोड़ मतदातों में 4.57 करोड़ पुरुष  4.16 करोड़ है. 2014 में प्रति 1000 पुरुष मतदातों के मुकाबले राज्य में 905 थी जो इस बार बढ़कर 911 हो गई है. 2014 से पहले यह आंकड़ा 875 था.महिला समूहों, आंगनबाड़ी  डोर-टू-डोर कैंपेन के माध्यम से विशेष अभियान चलाकर यह मुकाम हासिल किया गया है.

बीते दशक में लगभग सभी राज्यों में महिला मतदाताओं की संख्या में बढ़ोतरी देखी गई है. 1960 में प्रति 1000 पुरुष मतदाताओं के मुकाबले 715 महिला मतदाता मौजूद थी. 2000 तक इस आंकड़े में बढ़ोतरी हुई  यह बढ़कर 883 हो गया. 2011 में प्रति 1000 पुरुष मतदाताओं के मुकाबले राष्ट्र में महिला मतदाताओं की संख्या 940 थी. 2014 चुनाव के समय केरल में महिला मतदाताओं की संख्या पुरुष मतदाताओं से ज्यादा जबकि आंध्रप्रदेश, कर्नाटक  तमिलनाडु में लगभग सामान थी.

1971 से अबतक महिला मतदाताओं की संख्या में अप्रत्याशित बढ़ोतरी दर्ज की गई है. यह चुनाव आयोग के अभियानों की कामयाबी का भी प्रमाण है. राष्ट्र में कई इलाकों में कार्य की वजह से पलायन कर जाने वाले लोगों का वोट दर्ज नहीं हो पाता.