महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा उलटफेर, कांग्रेस की बढ़ा दी मुश्किल

महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा उलटफेर देखने को मिला है जिसने कांग्रेस की मुश्किल को बढ़ा दिया है। दरअसल महाराष्ट्र भारतीय जनता पार्टी के बाबा साहब वकाले अहमदनगर से मेयर चुने गए हैं। लेकिन उनके मेयर चुने जाने के पीछे एनसीपी और बहुजन समाज पार्टी की बड़ी भूमिका है। यहां कुल 68 पार्षद हैं जिनमे से भाजपा को सिर्फ 14 सीटों पर ही जीत मिली, बावजूद इसके बाबा साहब 37 पार्षदों के समर्थन से यहां के मेयर चुने गए। गौर करने वाली बात है कि यहां एनसीपी के 18 और बसपा के चार पार्षदों ने भाजपा के मेयर पद के उम्मीदवार को समर्थन दिया और बाबा साहब यहां मेयर चुने गए।


2019 का सियासी डर

महाराष्ट्र के अहदनगर में इस नए सियासी गठबंधन ने कांग्रेस की मुश्किल को बढ़ा दिया है और उसे इस बात का डर सता रहा है कि आगामी लोकसभा चुनाव में भी कही उसे इस तरह के गठबंधन का सामना ना करना पड़े। गौर करने वाली बात यह है कि अहमदनगर में सबसे अधिक सीटें शिवसेना ने जीती थी, सेना के खाते में कुल 24 सीटें आई थी, बावजूद इसके भाजपा उम्मीदवार को मेयर का पद मिला है। प्रदेश कांग्रेस के मुखिया अशोक चव्हाण फिलहाल देश से बाहर हैं, ऐसे में पार्टी इस बारे में कुछ भी कहने से बच रही है।

कांग्रेस की विश्वसनीयता पर सवाल

गौरतलब है कि अहमदनगर के निकाय चुनाव में कांग्रेस को पांच सीटों पर जीत मिली थी लेकिन मेयर की वोटिंग के दौरान ये सभी पार्षद नदारद थे। सूत्रों की मानें तो एनसीपी के पार्षदों को आलाकमान की ओर से भाजपा उम्मीदवार को वोट देने की अनुमति मिली थी। कांग्रेस पार्टी के पदाधिकारी का कहना है कि अगर एनसीपी अपने पार्षदों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करती है तो उनकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़े होंगे। वहीं अहमदनगर के सियासी गठजोड़ पर उन्होंने कहा कि शिवसेना के पांच बार के विधायक अनिल राठौर को एनसीपी के संग्राम जगताप को 2014 में हराया था। संग्राम भाजपा विधायक शिवाजी कारदीले के दामाद हैं।

भाजपा-एनसीपी का गठजोड़

काग्रेस नेता ने बताया कि अगर शिवसेना का मेयर चुना जाता तो अनिल राठौर यहां मजबूत होते और एनसीपी यह बिल्कुल नहीं चाहती थी। राठौर स्थानीय नेता जदताप शिवाजी कारदीले और भाजपा के अहमदनगगर के सांसद दिलीप गांधी के विरोधी हैं। ऐसे में एनसीपी ने भाजपा के मेयर को समर्थन देकर अहमदनगर में एक विधानसभा सीट पक्की कर ली है। एनसीपी के अहमदनगर पर्यवेक्षक ने पहले ही साफ कर दिया था कि यहां मेयर पद का फैसला स्थानीय नेता ही लेंगे।