मध्यस्थता तो महाभारत से पहले भी विफल हो गई थी ,सीएम योगी

 अयोध्या टकराव पर मध्यस्थता पैनल की कोशिशें सफल नहीं होने पर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने महाभारत का उदाहरण दिया. उन्होंने शनिवार को बोला कि हमें पहले ही मालूम था कि मंदिर-मस्जिद मुद्दे को सुलझाने में मध्यस्थता के कोशिश बेअसर रहेंगे, क्योंकि पहले भी इनका कोई नतीजानहीं निकला था. पांडव  कौरव के बीच महाभारत से पहले मध्यस्थता की प्रयास हुई, लेकिन वह विफल रही थी.

योगी आदित्यनाथ ने कहा, “सुप्रीम न्यायालय ने अयोध्या धरती टकराव को लेकर तीन सदस्यीय मध्यस्थता पैनल का गठन किया था जो विफल रहा. यह अच्छी बात है कि मध्यस्थता के लिए कोशिश किया गया.” योगी का यह बयान उच्चतम न्यायालय के द्वारा शुक्रवार कोमध्यस्थता पैनल को रद्द करने  6 अगस्त से अयोध्यामामले पर नियमित सुनवाई करने की घोषणा के बाद आया है. उम्मीद जताई जा रही है कि 60 दिन के भीतर सुनवाई पूरी हो जाएगी.

सुप्रीम न्यायालय ने 8 मार्च को इस मुद्दे को वार्ता से सुलझाने के लिए मध्यस्थता पैनल बनाया था. समिति में पूर्व जस्टिस एफएम कलिफुल्ला, आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर, सीनियर एडवोकेट श्रीराम पंचू शामिल हैं. मई में जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण  जस्टिस एस अब्दुल नजीर की बेंच ने मध्यस्थता पैनल को इस मुद्दे को सुलझाने के लिए 15 अगस्त तक का समय दिया था. बेंच ने सदस्यों को निर्देशित किया था कि आठ हफ्तों में मुद्दे का हल निकालें. पूरी वार्ता कैमरे के सामने हो.

अयोध्या टकराव में पक्षकार गोपाल सिंह विशारद ने अपनी याचिका मेंकोर्ट से बोला था कि मध्यस्थता पैनल से कोई सकारात्मक परिणाम नहीं मिल रहे हैं. इसलिए न्यायालय को जल्द निर्णय के लिए रोज सुनवाई पर विचार करना चाहिए. इस पर न्यायालय ने बोला था कि मध्यस्थता पैनल की स्टेटस रिपोर्ट देखने के बाद ही तय करेंगे कि अयोध्या मुद्दे की सुनवाई प्रतिदिन की जाए या नहीं. न्यायालय ने पैनल को अपनी अंतिम रिपोर्ट 1 अगस्त तक सौंपने को बोला था.