उत्तर प्रदेश सरकार प्रदेश के मान्यता प्राप्त अनुदानित मदरसों को अब व आधुनिक बनाएगी. अभी तक इन मदरसों में पढ़ाई सिर्फ धार्मिक एजुकेशन के लिए ही होती थी. मगर अब धार्मिक एजुकेशन के अतिरिक्त अन्य आधुनिक विषयों हिन्दी, अंग्रेजी, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, कम्प्यूटर आदि को व ज्यादा अहमियत देते हुए जरूरी कर दिया है. धार्मिक एजुकेशन यानी दीनयात का केवल एक विषय ही रहेगा.
को उ। प्र। मदरसा एजुकेशन परिषद की मीटिंग में लिए गए फैसला के अनुसार अब इन मदरसों में धार्मिक एजुकेशन के अतिरिक्त हिन्दी, गणित व विज्ञान विषय जरूरीकर दिए जाएंगे. अंग्रेजी पहले से ही जरूरी थी. इसी क्रम में सामाजिक विज्ञान व कम्प्यूटर को ऐच्छिक विषय बनाया गया है. इस तरह से अब मदरसों के सभी पाठ्यक्रमों के विषयों की संख्या अधिकतम 6 ही रहेगी. मदरसा शिक्षकों के संगठन मदारिसे अरबिया टीचर्स एसो। के महामंत्री वहीदुल्लाह खान ने उक्त जानकारी देते हुए बताया कि उनका संगठन इस निर्णय का स्वागत करता है. उन्होंने बताया कि मीटिंग में उर्दू का मामला उठाया था जिस पर सरकार की ओर से स्पष्ट किया गया कि मदरसों में पढ़ाई का माध्यम उर्दू ही रहेगा.
यूपी में मान्यता प्राप्त, अनुदानित मदसों में मुंशी-मौलवी और आलिम पाठ्यक्रमों के नाम बदले
उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश के मान्यता प्राप्त, अनुदानित मदरसों की एजुकेशन व्यवस्था में बड़े परिवर्तन कर दिए हैं. अब इन मदरसों में मुंशी-मौलवी का पाठ्रयक्रम सेकेण्ड्री के नाम से जाना जाएगा. इसी तरह आलिम के पाठ्यक्रम का नाम सीनियर सेकेण्ड्री कर दिया गया है. कामिल यानि ग्रेज्यूएट व फाजिल यानि पोस्ट ग्रेज्यूएट के नाम जल्द ही ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती अरबी फारसी विश्वविद्यालय से सम्बद्धता होने पर बदले जाएंगे.
यह निर्णय मंगलवार को प्रमुख सचिव अल्पसंख्यक कल्याण मनोज सिंह की अध्यक्षता में हुई मदरसा परिषद की मीटिंग में लिए गए. परिषद के रजिस्ट्रार एस। एन। पाण्डेय ने फैसलों की जानकारी देते हुए बताया कि मदरसों के पाठ्यक्रमों में प्रश्न पत्रों की संख्या भी घटा दी गई है. अभी तक मुंशी-मौलवी में एक वैकल्पिक विषय के साथ कुल 11 प्रश्न लेटरहोते थे जिन्हें घटाकर अब 6 कर दिया गया है.