भारत में पुलवामा हमले के बाद ईरान ने भी पाकिस्तान को कही ये धमकी भरी बात

भारत में पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान को सबक सिखाने की बात हो रही है और पीएम मोदी सहित देश के तमाम राजनेताओं ने पाकिस्तान को सबक सिखाने की बात कही है। लेकिन ठीक इसी वक्त ईरान ने भी पाकिस्तान को सबक सिखाने की बात कही है। हाल ही में ईरान में भी हुए आत्मघाती विस्फोट में 27 सुरक्षा जवानों की मौत हो गई थी। और इस हमले के पीछे जैश-अल-अदल नाम के सुन्नी चरमपंथी संगठन का हांथ बताया गया था। यह हमला पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रान्त से लगे सिस्तान में हुआ था। ईरान में बीते साल भी एक आत्मघाती हमले में 24 जवानों की मौत हो गई थी।

पाकिस्तान दे रहा है सऊदी अरब का साथ

बलूचिस्तान से सटे क्षेत्रों में पाकिस्तान और ईरान की सेना के बीच भी आये दिन आमना-सामना होते रहता है। ईरान का आरोप है कि पाकिस्तान सुन्नी अलगाववादियों को मदद मुहैया करवाता है। बीते साल ही ईरान ने पाकिस्तान को धमकी दी थी कि अगर वो अपनी हरकत से बाज नहीं आता है तो ईरान भी भारत की तरह पाकिस्तान में घुस कर सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दे सकता है। जैश-अल-अदल को सऊदी अरब से वैचारिक और आर्थिक पोषण मिलता है और जिसका इस्तेमाल ईरान को अस्थिर करने के लिए किया जाता है।

हाल के दिनों में जिस तरह से सऊदी अरब और पाकिस्तान में मित्रता बढ़ी है उसने ईरान को चिंता में डाल दिया है। सऊदी अरब ने पाकिस्तान की लुढ़कती अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए हाल ही में 6 अरब डॉलर की आर्थिक मदद की है और अब सऊदी पाकिस्तान और चीन के चाइना-पाकिस्तान इकनोमिक कॉरिडोर का हिस्सा भी बनने जा रहा है। पाकिस्तान के कूटनीतिक फैसलों में सऊदी अरब की बढ़ती दखलंदाजी ने पाकिस्तान को सऊदी प्रोपोगंडा को आगे बढ़ाने के लिए मजबूर कर दिया है। ईरान के विदेश मंत्री का ट्वीट इसी तरफ इशारा कर रहा है।

ईरान और भारत का दोस्ताना

भारत में करीब 12% कच्चा तेल सीधे ईरान से आता है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले वर्ष भारत ने ईरान से करीब सात अरब डॉलर के कच्चे तेल का आयात किया था। ईरान के पास मौजूद विशाल प्राकृतिक गैस भंडार और भारत में ऊर्जा की बढ़ती ज़रूरतें भी एक बड़ा फैक्टर है। भारत और ईरान के बीच दोस्ती के मुख्य रूप से दो आधार हैं। एक भारत की ऊर्जा ज़रूरतें हैं और दूसरा ईरान के बाद दुनिया में सबसे ज़्यादा शिया मुस्लिम भारत में होना। भारत ने हाल ही में ईरान में स्थित चाबहार पोर्ट को विकसित करने का जिम्मा उठाया है जिससे भारत को अफगानिस्तान पहुंचने के लिए पाकिस्तान जाने की जरुरत नहीं होगी।

हाल के वर्षों में अफगानिस्तान में भारत ने अपनी मौजूदगी बढ़ाई है जिसके कारण चाबहार पोर्ट सामरिक रूप से महत्वपूर्ण हो जाता है। ईरान के चाबहार पोर्ट को पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट का जवाब बताया जा रहा है जिसे पाकिस्तान चीन की मदद से विकसित कर रहा है। ईरान और भारत के रिश्ते सामरिक रूप से बहुत महत्त्वपूर्ण हैं।