आपको बता दें की आम मिसाइलों के विपरित यह मिसाइल हवा को खींच कर रेमजेट तकनीक से ऊर्जा प्राप्त करती है। जो दुनिया के किसी भी देश की मिसाइल नहीं कर सकती हैं।
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ब्रह्मोस के समुद्री तथा थल संस्करणों का पहले ही सफलतापूर्वक परीक्षण किया जा चुका है तथा भारतीय सेना एवं नौसेना को सौंपा जा चुका है। यह मिसाइल भारत के तीनो सेना युद्ध की स्थिति में इस्तेमाल कर सकती हैं।
ब्रह्मोस की विशेषता यह है कि इसे जमीन से, हवा से, पनडुब्बी से, युद्धपोत से यानी कि लगभग कहीं से भी दागा जा सकता है। यही नहीं इस प्रक्षेपास्त्र को पारम्परिक प्रक्षेपक के अलावा उर्ध्वगामी यानी कि वर्टिकल प्रक्षेपक से भी दागा जा सकता है। इस मिसाइल को रडार भी नहीं पकड़ सकती हैं। ये परमाणु हथियार ले जाने में भी सछम हैं।
एक रिपोट की मानें तो ब्रह्मोस अमरीका की टॉम हॉक मिसाइल से लगभग दुगनी अधिक तेजी से वार कर सकती है, इसकी प्रहार क्षमता भी टॉम हॉक से अधिक है।
इस मिसाइल का नाम सुनते ही भारत के दुश्मन कांपने लगते हैं। भारत इस मिसाइल का कई तरह के अपडेट तैयार कर चूका। ब्रह्मोस मिसाइल की ताकत भारत को और भी ज्यादा ताकतवर बना रही हैं।