उधर, अगर इस अटल टनल के आकार की बात करें तो इसे तीन हजार कार और 1500 ट्रक के लिए तैयार किया गया है। जिसमें वाहनों की अधिकतम रफ्तार 80 किलोमीटर तक निर्धारित की गई है। सुरंग के दक्षिण पोर्टल पर संपर्क मार्ग की आधारशीला पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजेपयी ने वर्ष 2002 में रखी थी, और आज इसे पूर्णत: मूर्त रूप दे दिया गया है।
यह सुरंग सामरिक रूप से अति महत्वपूर्ण है। पहले इस सुरंग का नाम रोहतांग सुरंग रखा गया था, लेकिन बाद में पीएम मोदी ने इसके नाम को परिवर्तित करने हेतु इसका नाम अटल टनल कर दिया। सेरी नाला फाल्ट जोन में 587 मीटर क्षेत्र में सुरंग बनाने का काम सबसे चुनौतीपूर्ण था और इसे 15 अक्टूबर 2017 को पूरा किया गया।
इसका बकाया 40 प्रतिशत कार्य पिछले दो सालों में पूरा कर लिया गया। 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका दौरा भी किया था। इसका नाम निर्माणकार्य चुनौतीपूर्ण रहा, लेकिन अक्टूबर 2017 में इसका निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया था। इसके निर्माण कार्य में 3200 करोड़ रूपए की लागत आई है।
अटल टनल के संचालन के बाद मनाली से लेह की दूरी करीब 46 किलोमीटर तक कम हो जाएगी। टनल का उद्धाटन करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी एक सार्वजनिक कार्यक्रम में शिरकत करेंगे। अटल सुरंग का दक्षिणी पोर्टल मनाली से 25 किलोमीटर की दूरी पर 3060 मीटर की ऊंचाई पर बना है।
उत्तरी टनल पर यह 3071 मीटर की ऊंचाई पर लाहौल घाटी में तेलिंग, सीसू गांव के नजदीक स्थित है। यहां घोड़े के नाल के आकार वाली दो सड़क आठ मीटर तक चौड़ी है।
पीएम मोदी के रूख से ऐसा प्रतीत होता है कि उन्होंने अपने वरिष्ठजनों के ख्वाब को मुकम्मल करने का बीड़ा उठा लिया है। इसके लिए वह अपनी हर संभव कोशिश को अंजाम तक पहुंचाने की जुगत में मसरूफ रहते हैं।
हर उस काम की आधाराशीला जो उनके वरिष्ठजन डालकर अब इस दुनिया को अलविदा कह चुके हैं। उन कामों को बखूबी अंजाम तक पहुंचाने की जुगत में जुट गए हैं।
अब इस बीच आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुनिया की सबसे लंबी सुरंग अटल टनल का उद्धाटन करने जा रहे हैं। इसकी आधारशीला पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 2002 में रखी थी, और आज की तिथि में इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने नेक इरादों और संकल्पबद्धता के दम पर धरातल पर उतारने जा रहे हैं।