भारत ने चीन को दिया ये करारा जवाब, देख पाकिस्तान के भी उड़े होश

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि पड़ोसी देशों के साथ अब तक दो ट्रेनिंग मॉड्यूल आयोजित हो चुके हैं। इसमें करीब 90 स्वास्थ्य विशेषज्ञ और वैज्ञानिक हिस्सा भी ले चुके हैं। उन्होंने कहा कि इस योजना को विस्तार दिया जाएगा।


सितंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूनाइटेड नेशंस जनरल असेंबली में कहा था कि वैक्सीन की आपूर्ति को लेकर भारत सभी देशों को कोल्ड चेन और स्टोरेज क्षमता बढ़ाने में मदद करेगा।

परीक्षण के आधार पर भारत अन्य देशों के साथ क्लिनिकल ट्रॉयल, वैक्सीन डेवलपमेंट के लिए कैपिसिटी बिल्डिंग और फिर उसके उत्पादन व आपूर्ति के लिए सहयोग करेगा।

17-19 अक्टूबर एक डेलीगेशन ने बांग्लादेश जाकर वैक्सीन के वर्तमान चरण को लेकर बातचीत किया। दोनों पक्षों में बांग्लादेश में क्लिनिकल ट्रॉयल की रूपरेखा को लेकर बातचीत हुई। म्यामांर के साथ इस मामले में वर्चुअल इंट्रैक्शन हुआ है।

कोरोना महामारी के खतरों से बचने के लिए दुनिया भर में वैक्सीन के लिए परीक्षण हो रहे हैं। इसके अलावा इसे हर शख्स के पास पहुंचाने को लेकर नीतियां तैयार की जा रही हैं। ऐसे में एक नई डिप्लोमेसी सामने आई है।

वैक्सीन के मामले में भारत अपने पड़ोसी देशों को सहयोग करेगा। वैक्सीन के विकास में भारत, बांग्लादेश और म्यांमार सहयोग करेगा। विदेशी मामलों के मंत्रालय से शीर्ष अधिकारियों और संबंधित एजेंसियों ने बांग्लादेश और म्यामांर की सरकार के साथ वैक्सीन के संयुक्त उत्पादन, वितरण और आपूर्ति पर बातचीत की।

चीन की कुटिल वैक्सीन डिप्लोमेसी की काट के लिए भारत ने कमर कस ली है। भारत अपनी इस छवि के साथ कि वह विश्व को सस्ती दवाओं की आपूर्ति करने में अग्रणी रहा है, कोविड-19 संकट से निपटने के लिए दुनिया भर में टीकों की आपूर्ति के लिए तैयार है।

पड़ोसी देशों के अलावा ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका भी कोविड-19 संकट से निपटने के लिए टीके लगाने के लिए भारत पहुंच रहे हैं। इक्वाडोर के दूत भारत बायोटेक के कोविड-19 वैक्सीन के तीसरे चरण के परीक्षण में भाग लेने वाले पहले दूत बन गए। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर क्या है वैक्सीन डिप्लोमेसी। क्या है चीन की कुटिल वैक्सीन डिप्लोमेसी। क्या है भारत की तैयारी।