भारत- चीन फिर आए आमने -सामने, बिगड़ सकते हालात

चीन ने भारत को जिस कमिटी की अध्यक्षता करने से रोका है। उस कमिटी का नाम अलकायदा प्रतिबंध कमिटी है। भारत को चीन की वजह से अलकायदा कमिटी की अध्यक्षता नहीं मिली है।

 

यह वही कमिटी है जिसने आतंकी मसूद अजहर, हाफिस सईद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों पर प्रतिबंध लगाए थे। संयुक्त राष्ट्र में चीन ही एक ऐसा सदस्य है जो भारत को इस कमिटी की अध्यक्षता करने का विरोध कर रहा है।

बता दें भारत जनवरी से संयुक्त राष्ट्र का अस्थायी सदस्य बना था। जिसके बाद उसे तालिबान कमिटी का अध्यक्ष बनाया गया था। परम्परागत तौर पर जो तालिबानी कमिटी की अध्यक्षता करता है।

वही अलकायदा कमिटी की भी अध्यक्षता करता है। साल 2011 में अलकायदा और तालिबान को दो कमिटियों में बनाया गया था। भारत से पहले इंडोनेशिया,कजाकिस्तान, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश इन कमिटियों की अध्यक्षता कर चुके हैं।

चीन ऐसा इसलिए कर रहा है ताकि भारत पर अप्रत्यक्ष रुप से दवाब बनाया जा सके। चीन लगातार गाहे-बगाहे कोशिश कर रहा है भारत पर सीमा के बन रहे दवाब के बदले अलग तरीके से उसे परेशान किया जा सके। इसके लिए वह बार-बार ऐसी हरकतें करता रहता है। बता दें पाकिस्तानी आतंकवादी मसूद अजहर को लेकर भी अंतराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवादी घोषित कराने से पहले चीन ने भारत को काफी परेशान किया था।

मगर चीन की तमाम कोशिशों के बाद भी भारत सरकार मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित कराने में कामयाब रही थी। उस हार के बाद चीन ने अब ऐसे ही आतंकवादियों के खिलाफ एक्शन लेने वाली कमिटी अध्यक्षता मिलने से रोका गया है। दरअसल चीन ऐसा इसलिए कर पाता है कि क्योंकि उसके पास संयुक्त राष्ट्र में स्थायी सदस्ता है।

भारत से कूटनीति से हर मोर्चे पर मात खा रहा चीन अपनी इन हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। ऐसे में ड्रैगन ने अपनी भड़ास का बदला निकालने के लिए संयुक्त राष्ट्र में एक कमेटी में भारत की अध्यक्षता में अड़ंगा लगाने की कोशिश की है।

संयुक्त राष्ट्र भारत को आतंकवादियों के खिलाफ एक्शन लेने वाली एक कमेटी का अध्यक्ष बना रहा था। जिसे चीन ने अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करके रोकने की कोशिश की है।